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दूसरे शहर में शिफ्ट करने पर झेलनी पड़ती हैं ये समस्याएं

आगे बढ़ने के लिए अक्सर स्टूडेंट्स को किसी दूसरे शहर में शिफ्ट होना पड़ता है. ऐसे में उनको तमाम जिम्मेदार‍ियों के साथ कई परेशानियां भी सामने आती हैं. और इनसे निपटना चुनौतीपूर्ण होने के साथ दिलचस्प भी होता है.

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Living Alone in New City
Living Alone in New City

एक शहर से दूसरे शहर जाकर रहना आसान काम नहीं है. आप जिस जगह की एक-एक गली से वाकिफ हों, उस जगह की यादें आपको नए शहर में चैन से एक पल रहने नहीं देती हैं.

इसके अलावा नए शहर के हिसाब से खुद को ढाल पाना भी आसान नहीं होता है. खासकर उस दौरान जब आप नौकरी करने या पढ़ाई करने शहर आते हैं. ऐसे में संघर्ष और ज्यादा बढ़ जाता है. अगर आप एक से दूसरे शहर जा रहे हैं, खासतौर पर छोटे शहर से किसी मेट्रो में, तो ये परेशानियां आपके सामने आ सकती हैं:

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1. क्या लेकर जाएं साथ
परेशानी की शुरुआत पैकिंग से होती है. जब आप घर छोड़ने लगते हैं तो ऐसा महसूस करते हैं कि अपने जरूरत के सामानों को दो-तीन बैग में समेटना आसान नहीं है. आप बार-बार सामान निकालते और फिर दोबारा से रखते हैं.
हर सामान को रखना उस समय जरूरी लगने लगता है, लेकिन सब साथ ले जाना संभव नहीं होता है.

2. कहां तलाशें घर
दूसरी परेशानी नए शहर में घर तलाशने की होती है. छोटे शहरों में बड़े घर में रहने की आदत होती है. वहीं मेट्रो सिटी में एक कमरे में आपको दुनिया बसानी होती है. किसी रूममेट के साथ कमरा भी शेयर करना होता है.
यही नहीं, अगर आप पीजी में रहते हैं तो परेशानियों का अंत नहीं है. आप नए शहर में हर समय एक अच्छे और सस्ते घर की तलाश में ही लगे रहते हैं.

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3. नए दोस्त ढूंढने में
घर के बाद बारी आती है दोस्तों की. नए शहर में दोस्त बनाना आसान काम नहीं है क्योंकि यहां कोई आपके बारे में जानता है. कॉलेजों में तो फिर भी जल्द दोस्त बन जाएंगे. लेकिन अगर आप नौकरी करने आए हैं तो दोस्त बनाना मुश्किल है. अगर आप खुशकिस्मत हुए और आपकी दोस्ती किसी से हो गई है तो कितने दिन चल पाएगी, इसकी भी कोई गारंटी नहीं होती.

4. अनजानी जगह का भटकाव
नए शहर में एक सप्ताह तक तो आपका दिमाग खाली-सा हो जाता है. यानी आपको कुछ भी समझ में नहीं आता है कि हो क्या रहा है.

5. खाने की परेशानी
अगर आप खाने के शौकीन हैं तो आपके लिए नए शहर में मुश्किल कम होने के बजाय बढ़ जाती है. आप शहर के ऐसे जगहों की तलाश करने लगते हैं जहां आपके पसंद की खाने-पीने की चीजें मिलती हों.

6. तहजीब का फर्क
छोटे शहर से आने वाले लोगों को बड़े शहरों में आकर कल्‍चरल शॉक (सांस्कृतिक) भी लगता है. हर शहर की अपनी तहजीब होती है और नए माहौल में एडजस्ट करना सभी के लिए अासान नहीं होता.

7. रास्तों की भूलभुलैया
बड़े शहरों में अक्‍सर रास्‍ते पता करने में आपका वक्‍त निकल जाता है. मान लीजिए आप दिल्ली आए हैं तो आपको मेट्रो स्टेशनों का मास्टर होना पड़ेगा. मुंबई में हैं तो लोकल ही अब आपकी लाइफ लाइन होगी. इस लाइफ लाइन को समझे बिना आपका काम नहीं चलने वाला.

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8. घर की याद
जैसे ही आप शहर का चक्कर लगाकर रात को शांति से अपने बिस्तर तक आते हैं, घर की याद सताना शुरू कर देती है. बार-बार मम्मी-पापा और अपने दोस्तों को फोन करते हैं. जहां पहले आपके फोन में मिस कॉल देने के लिए भी पैसे नहीं होते थे वहां अब आप रिचार्ज पर रिचार्ज करवाने लगते हैं.

9. हर काम खुद करना पड़ता है
जब आप किसी शहर में अकेले होते हैं तो अपने सामानों से लेकर बाकी कई तरह की जिम्मेदारियां भी आप के कंधों पर होती हैं. अकेला रहना आपको आत्मनिर्भर बना देता है. शुरू में भले ही यह तकलीफदेह हो लेकिन यह आपके जीवन के लिए फायदेमंद साबित होता है.

10. नई भाषा को अपनाना पड़ता है
नए शहर में आपको वहां की भाषा से भी दो-चार होना पड़ता है. खासतौर पर फ्रेज के शॉर्ट फॉर्म, जैसे कि टीटीवाईएल (टॉक टू यू लेटर), पिक्चर (पिक्स), एनएसएफडब्ल्यू (नॉट सेफ फॉर वर्क), जेएफएफ यानी (जस्ट फॉर फन), व्यक्ति को बंदा और कई सारे ऐसे नए शब्दों को सुनना और उनका मतलब जानना एक नया अनुभव होता है.

11. सुकून की तलाश
शहर की भीड़ से परेशान होकर कई बार ऐसा भी समय आता है, जब आपका मन किसी पार्क में अकेले बैठकर चुपचाप किसी पेड़ या पौधे को देखने को करेगा.

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