एशियन पैरासाइकलिंग चैंपियन 2013 में डबल सिल्वर मेडल जीतने वाले हैदराबाद के आदित्य मेहता की कहानी किसी के भी अंदर कर गुजरने का जज्बा पैदा कर सकती है. आदित्य का एक पैर नहीं है, यह सुनने आप बेशक सहानुभूति से भर जाएंगे लेकिन आदित्य का जोश ऐसा है जो किसी मुर्दे में भी जान डाल सकता है.
कौन है आदित्य:
आदित्य हैदराबाद के सिंकदराबाद की बिजनेस फैमली से ताल्लुक रखते हैं. बिजनेस में शुरू से ही दिलचस्पी के चलते उन्होंने टेक्सटाइल की फील्ड में अपना बिजनेस शुरू किया. इसमें कामयबी भी पाई, लेकिन एक दिन अचानक ही हैदराबाद में हुए हादसे में उन्हें अपना एक पैर गंवाना पड़ गया. वह इस हादसे के लिए तैयार नहीं थे.
हादसे के बारे में पूछे जाने पर वह बताते हैं कि मैं पूरी तरह टूट गया था और अपना बिजनेस भी मैंने बंद कर दिया था. सच तो यह है कि जीवन से जुड़ी हर उम्मीद मैंने छोड़ दी थी.
साइकलिंग का जुनून:
लेकिन जिंदगी हमें उम्मीदों के रास्ते हमेशा दिखाती है. एक ऐसा ही एक रास्ता दिखा आदित्य को, जब उन्होंने हैदराबाद में बने बाइसाइकलिंग क्लब के विज्ञापन को देखा. तब उन्होंने तय किया कि अपनी शारीरिक कमी को पीछे छोड़ वह साइकलिंग में नया मुकाम बनाएंगे.
हालांकि यह सफर आसान नहीं था. साइकलिंग के साथ पहला अनुभव उनके लिए बेहद निराशाजनक था. उनको जो कृत्रिम पैर लगाया गया था, उससे साइकल के पैडल को चलाना आसान नहीं था. इस समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने खुद ही एक ऐसा कृत्रिम पैर डिजाइन किया, जिससे साइकल को आसानी से चलाया जा सके. आमतौर पर ऐसा किया जाना आसान नहीं था. वहीं पूरे 18 महीनों की कड़ी मेहनत के बाद वह प्रोफेशनल पैरासाइकलिस्ट बनें और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में उनका नाम 2013 में दर्ज हुआ.
ये हैं उनके अब तक बनाए रिकॉर्ड:
हैदराबाद से बंगलुरू का सफर उन्होंने साइकल से तीन दिन में पूरा किया. फिर वह मनाली से लेह-खरदूंगला को फतह करने निकले और इस दौरान 13,050 फुट ऊंचे रोहतांग पास को पार किया. यही नहीं, उन्होंने लंदन से पेरिस का 520 किमी का सफर तीन दिन में तय करके एक नया रिकॉर्ड बनाया.
आदित्य ने कश्मीर से कन्याकुमारी के बीच का 3600 किलोमीटर का सफर साइकल से तय कर नया रिकॉर्ड भी बना दिया. अपने इस रिकॉर्ड के लिए उन्होंने इस रूट में आने वाले देश के 36 शहरों का सफर 36 दिनों में तय किया. बेशक यह रिकॉर्ड आम आदमी के बस की बात नहीं है और इसके लिए व्यक्ति पर कुछ कर दिखाने की धुन सवार होनी चाहिए.
अपने इस सफर के बारे में आदित्य बताते हैं कि इस दौरान थकान के अलावा भी कई परेशानियां उनके सामने आईं. उन्होंने बताया कि इस दौरान उनकी नाक से खून आने लगा, पैर में चोटें आईं और त्वचा भी कई जगहों से कट गई थी.
सफलता का मूलमंत्र:
आदित्य से सफलता का राज पूछने पर वह बहुत आसान शब्दों में जवाब देते हैं कि साइकलिंग करने से मुझे जिंदगी में रफ्तार मिलती है. वहीं उनका यह भी कहना है कि लगन और पक्की धुन के दम पर इंसान असंभव को भी संभव कर दिखाता है.