सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार एक ऐसा नाम है, जिसे भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया जानती है. जल्द ही उन पर एक फिल्म आने वाली है, जिसका नाम 'सुपर 30' है. इस फिल्म में उनका किरदार बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रोशन निभाएंगे. आज भले ही आनंद कुमार को लाखों-करोड़ों लोग जानते हैं, लेकिन उनकी इस सफलता के पीछे कड़ा संघर्ष छिपा है.
बिहार के पटना से ताल्लुक रखने वाले आनंद कुमार के पिता पोस्टल डिपार्टमेंट में क्लर्क की नौकरी करते थे. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से उनकी पढ़ाई हिंदी मीडियम सरकारी स्कूल में हुई. स्कूल के दौरान उन्हें गणित विषय से काफी लगाव हुआ था. जहां उन्होंने खुद से गणित के नए फॉर्मुले ईजाद किए. इसके बाद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से उन्हें बुलावा आया गया.
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नहीं थे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में जाने के पैसे
जैसे-तैसे उन्होंने गरीबी में पढ़ाई तो पूरी कर ली, लेकिन जब उन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से बुलावा आया, तो वह जा नहीं पाये. वजह थी घर की आर्थिक स्थिति. उन्हें कैम्ब्रिज जाने और रहने के लिए लगभग 50 हजार रुपए की जरूरत थी, इतने पैसे आनंद के पास नहीं थे. वहीं पिता की मृत्यु और तंग आर्थिक हालत के चलते उनका सपना साकार नहीं हो सका. जिसके बाद घर की सारी जिम्मेदारी आनंद के कंधों पर आ गई थी.
घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए आनंद अपना पसंदीदा विषय गणित में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. हालांकि वह खुद गरीबी में पढ़े-लिखे थे. जिसके चलते वह पढ़ाई के लिए ज्यादा फीस बच्चों से नहीं लेते थे. इसलिए उन्होंने थोड़े और पैसे कमाने के लिए अपनी मां के साथ घर में पापड़ बनाने का काम शुरू किया. आनंद रोज शाम को चार घंटे मां के बनाए पापड़ों को साइकिल से घूम-घूम कर बेचते थे.
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कैसे आनंद कुमार बने चर्चा का विषय
सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार जिन 30 बच्चों को ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन की कोचिंग दे रहे थे, उनमें 30 में से 30 छात्रों को कामायाबी मिली थी. जिसके बाद वह चर्चा का विषय बन गए. ये सभी जानते हैं कि IIT में एडमिशन पाना काफी कठिन है, लेकिन आनंद ने गरीब बच्चों को आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में एडमिशन के सपने को हकीकत में बदल दिया था.
दो बच्चों के साथ शुरू किया 'रामानुजन स्कूल ऑफ मैथेमैटिक्स'
गरीब बच्चों के मसीहा कहे जाने आनंद कुमार ने 2 बच्चों के साथ अपना इंस्टिट्यूट 'रामानुजन स्कूल ऑफ मैथेमैटिक्स' खोला था. इस स्कूल में एडमिशन के नाम पर कोई स्टूडेंट 100 रुपए तो कोई 200 देता था.
बता दें, अपने इंस्टीट्यूट से वो हर साल 30 स्टूडेंट को सिलेक्ट करते हैं और ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) एडवांस जैसी परीक्षा के लिए तैयारी करवाते हैं. लेकिन इन सुपर 30 छात्रों को सिलेक्ट करने से पहले परीक्षा ली जाती है, जिसमें पास होने के बाद ही उन्हें सुपर-30 में जगह दी जाती है. बच्चों का चयन करने के बाद आनंद उन्हें अपने साथ रखते हैं और उनकी पढाई-लिखाई से लेकर खाना-पीना रहना आदि हर एक चीज का खर्च खुद उठाते हैं.
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आनंद कुमार ने साल 1992 में रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमैटिक्स की शुरुआत की थी. वहीं उनके इंस्टिट्यूट में ज्यादातर स्टूडेंट्स ऐसे परिवार से आते हैं जिनके पास इंजीनियिरिंग की पढ़ाई के लिए उतने पैसे नहीं है. बता दें, साल 2009 में, डिस्कवरी चैनल ने सुपर 30 पर एक प्रोग्राम दिखाया था. न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी आनंद कुमार और उनके सुपर 30 के बारे में भी लिख चुका है.
आनंद कुमार का पूरा परिवार सुपर 30 में शामिल है. उनकी मां सुपर 30 में पढ़ने वाले सभी बच्चों के लिए खाने की देखरेख करती हैं और उनके भाई सुपर 30 के मैनेजमेंट को संभालते हैं.