अब ऐसा तो कोई भी कर सकता है कि वह सिर्फ 10वीं पास हो और दुनिया के सबसे मशहूर सॉफ्टवेयर मेकिंग कंपनी के मुख्यालय तक पहुंच जाए लेकिन आंध्रप्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मे कोटि रेड्डी की बात ही जुदा है. वे गांव के सरकारी स्कूल में सिर्फ दसवीं तक बड़ी मुश्किल से पढ़े हैं. उनके पास ऐसी कोई बड़ी डिग्री नहीं है. जानें कि वे कैसे यहां तक पहुंचे...
कपड़े के लिए मिले पैसे से सीखने लगे 'सी लैंग्वेज'...
उन्हें पिता ने पोंगल के मौके पर कपड़े खरीदने के लिए 1000 रुपये दिए. उस पैसे से उन्होंने 'सी लैंग्वेज' सीखने का फैसला लिया. पिता उनके इस फैसले से इतने नाराज हुए कि उनकी जम कर पिटाई हो गयी लेकिन वे फिर भी अपने फैसले से नहीं डिगे. उन्होंने इसके अलावा कई मुश्किलें भी झेलीं. कई बार भूखे पेट सोए. खेत-खलिहान में पसीना बहाया. एक किराना दुकान में 700 प्रतिमाह पर डाटा इंट्री ऑपरेटर की नौकरी की. धीरे-धीरे वे उसी कोचिंग सेंटर के मालिक भी बने जहां उन्होंने कंप्यूटर चलाना सीखा था. आगे वे कंप्यूटर बेचने के कारोबार में भी गए.
साहित्य के हैं खासे शौकीन...
कोटि रेड्डी के पास भले ही बड़ी-बड़ी डिग्रियां न हों लेकिन वे इस बात को बखूबी समझते थे कि किताबें किसी को कहां से कहां पहुंचा सकती हैं. पहले पहल तो वे गांव की लाइब्रेरी आते-जाते रहे और वहां से जी भरने के बाद वे कस्बे की लाइब्रेरी में भी जाने लगे. कस्बे की लाइब्रेरी वहां से काफी दूर थी और वे वहां तक पैदल ही आते-जाते थे. वहां उन्होंने कई दिग्गजों की जीवनियां पढ़ डाली. उन्हें कॉलेज से ड्रॉप आउट बिल गेट्स की सफलता ने काफी प्रभावित किया और वे बिल गेट्स को ही खुद का आदर्श मानने लगे.
पैसों की कमी व इलाज के अभाव में पिता चल बसे...
ऐसे समय में जब एक लड़का संघर्ष की सीढ़ियां चढ़ रहा हो. अपनी जगह बनाने की जद्दोजहद कर रहा हो. उसे पिता के संबल की सबसे अधिक जरूरत होती है. मगर ऐसे ही समय में कोटि के पिता को न जाने क्या हो गया कि उनके हाथ-पांव फूल गए. काफी कोशिश के बाद भी वे नहीं बचाए जा सके. इस घटना से जहां वे भीतर तक टूट गए वहीं उन्होंने यह भी तय किया कि आगे वे हर तरह की परिस्थितियों के लिए तैयार रहेंगे.
बचपन में सांप का दंश भी झेल चुके हैं...
एक बार की बात है कि वे अपने खेतों में पानी देने के लिए गए हुए थे. वहां पानी का बहाव कुछ ज्यादा ही हो गया. वे किसी तरह डटे रहे और पानी का बहाव इधर-उधर मोड़ते रहे. इसी दौरान किसी सांप ने उन्हें काट लिया. वे पहले पहल तो बहुत डर गए लेकिन फिर खुद को संभालते हुए बस्ती की ओर बढ़ने लगे और रास्ते में किसी नीम के पेड़ से पत्तियां तोड़ कर खाने लगे. हालांकि बाद में वे डॉक्टर के पास गए जहां उन्हें पता चला कि उन्हें किसी जहरीले सांप ने नहीं काटा था और उनकी जान में जान आई.
कई मल्टीनेशनल कंपनी को छोड़ कर माइक्रोसॉफ्ट पहुंचे...
कोटि धीरे-धीरे जावा और सी लैंग्वेज सीखते रहे और आगे बढ़ते रहे. धीरे-धीरे वे स्टूडेंट से शिक्षक और फिर इंस्टीट्यूट के मालिक बन बैठे. उनकी जिंदगी में एक बड़ा मोड़ उस वक्त आया जब उन्हें एक मल्टीनेशनल कंपनी ने चीफ टेक्निकल ऑफिसर यानी ‘सीटीओ’ बनाने की पेशकश की. वे ‘सीटीओ’ की जिम्मेदारी संभालने के लिए बंगलुरु जाने की तैयारी में जुटे ही थे कि उन्हें बिल गेट्स की कंपनी ‘माइक्रोसॉफ्ट’ से बुलावा आया.
उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी की ‘सीटीओ’ वाली नौकरी को ना कह दिया और ‘माइक्रोसॉफ्ट’ के इंटरव्यू की तैयारी में जुट गए. वे कहते हैं, कि वे बिल गेट्स को भगवान मानते हैं और माइक्रोसॉफ्ट उनके लिए मंदिर जैसा है. इसी वजह से उन्होंने बहुत भारी रकम वाली नौकरी को तवज्जो न देकर माइक्रोसॉफ्ट को चुनने का निर्णय लिया.
आंध्रप्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मे और सरकारी स्कूल में सिर्फ दसवीं तक की पढ़ाई करने वाले कोटि रेड्डी ने साबित कर दिखाया कि सफल होने के लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं होती. डिग्री से तो सिर्फ नौकरी भर मिलती है लेकिन सफलता तो आपको मेहनत और काबिलियत के दम पर ही मिलती है.