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मजदूर के बेटे को मिला IIT में एडमिशन

जरूरी नहीं है कि बड़े शहरों में रहने वाले और अच्छे कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले बच्चों को ही IIT मे एडमिशन मिलता है. एक मजदूर का बेटा भी ऐसा कर सकता है और ऐसा ही कुछ कर दिखाया है अभिषेक मीन ने...

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ऐसा जरूरी नहीं है कि टॉप कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ने वाले छात्र या शहर में रहने वाले ऊंचे तबके के बच्चों को ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) या दूसरे बड़े संस्थानों में एडमिशन मिलता है.

गांव में रहने वाले गरीब परिवार के बच्चे भी ऐसे संस्थानों में एडमिशन पा सकते हैं और ऐसा कर दिखाया है कोटा के एक गांव के लड़के ने. हम आज ऐसे ही एक लड़के अभिषेक मीन की कहानी बताएंगे, जिसे आईआईटी दिल्ली में एडमिशन मिला है.

कौन हैं अभिषेकः

1. 18 साल के अभिषेक कोटा जिले के छतरपुरा गांव के कहने वाले हैं.

2. अभिषेक के पिता रामदयाल NREGA मजदूर है. उनके पिता ने अभिषेक को पढ़ाने के लिए बहुत कष्ट उठाए हैं.

3. रिपोर्ट्स की माने तो अभिषेक को क्लास 10 तक आईआईटी के बारे में बिल्कुल पता नहीं था.

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4. जब अभिषेक को क्लास 10 में 72 प्रतिशत अंक आए तो रामदयाल को अभिषेक के स्कूल टीचर्स ने सलाह दी कि उन्हें अभिषेक को कोटा भेजकर आईआईटी की कोचिंग करानी चाहिए.

5. अभिषेक ने गांव के हिंदी-मीडियम स्कूल से अपनी पढ़ाई की है.

6. इस साल आईआईटी में उन्होंने रिजर्वड कैटेगरी में 257वां रैंक हासिल किया.

7. अभिषेक कहते हैं, 'मैंने सिर्फ आईआईटी के लिए कोचिंग ली थी. क्लास 12 के लिए मैंने खुद से पढ़ाई की और 83 प्रतिशत हासिल किया. हालांकि मेरे दोस्त और कोचिंग के टीचर्स मुझे हायर सेकेंड्री के नोट्स दे दिया करते थे.'

8. पहली कोशिश में अभिषेक ने आईआईटी पास तो कर लिया था लेकिन उन्हें कोई कॉलेज नहीं दिया गया था. इस बारे में अभिषेक कहते हैं, 'इससे मैं हतोत्साहित नहीं हुआ और फिर से कोशिश करने की ठान ली.'

9. अभिषेक आईआईटी में इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन की पढ़ाई करेंगे.

अभिषेक के पिता कहते हैं, मैं बहुत खुश हूं. 'इस गांव से आईआईटी में एडमिशन पाने वाला अभिषेक पहला लड़का है और इस बात से मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं.'

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आईआईटी के बाद क्याः

आईआईटी की पढ़ाई खत्म करने के बाद अभिषेक चाहते हैं कि वो इनोवेटिव रिसर्च करें, जिससे भारत के गांव में रह रहे लोगों का कुछ भला हो पाए.वो कहते हैं, 'भारत के गांवों में बहुत टैलेंट छुपा है. मैं चाहता हूं कि इनोवेटिव इंजिनियरिंग एजुकेशन के माध्यम से यह बाहर आ पाए.'

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