भले ही आज विजय माल्या की प्रॉपर्टी की बोली लग रही हो, वे कंगाल होने की कगार पर हों, भारत सरकार उनके प्रत्यर्पण का प्रयास कर रही हो, पर उन्हें लिक्विर किंग के नाम से जाना-पहचाना जाता रहा है.
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खबरों की मानें, तो शराब के बिजनेस से ही उन्हें देश-विदेश में पहचान मिली. जब वे 28 साल के थे तो उन्होंने पिता के बिजनेस को संभाला था. फिर उन्होंने प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थानों से लोग अपनी कंपनी में भर्ती किए और कंपनी को इस मुकाम तक पहुंचा दिया. वो ऐसा दौर था, जब विजय लाइमलाइट में नहीं थे. पर कहते हैं कि सफलता सबसे संभलती नहीं. कुछ ऐसा ही माल्या के साथ भी हुआ.
इस कारण बिजनेस टायकून से 'किंग ऑफ बैड टाइम्स' बन गए माल्या
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब माल्या की पैठ सेलिब्रिटी जगत में बढ़ने लगे तो उन्हें ये एहसास हुआ कि भारत में शराब और उसके बिजनेस को अच्छे तरीके से नहीं देखा जाता. बस फिर क्या था, माल्या ने ये खुद पर से इस टैग को हटाने की ठान ली.
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उनके करीबी बताते हैं कि माल्या की चाहत थी कि लोग उन्हें शराब नहीं बल्कि एक उद्योगपति के रूप में देखें. इसीलिए उन्होंने उर्वरक, टेलीविज़न, चार्टर विमान सेवा आदि में हाथ आजमाना आरंभ किया.
उन्होंने एयरलाइन शुरू की और इस पर करोड़ो उड़ा दिए. यही सब कारण रहे कि वे बैंकों के कर्ज तले दबते गए. एक समय ऐसा भी आया, जब उन्हें लगा कि वे कर्ज नहीं चुका पाएंगे और उन्हें देश छोड़कर भागने का फैसला लिया.