scorecardresearch
 

20 सालों से साइकिल से घूम-घूमकर जगा रहा शिक्षा की अलख

शिक्षा का अलख जगाने के लिए लखनऊ के आदित्‍य कुमार साइकिल से बीते लगभग 20 वर्षो से गांव-गांव घूम-घूमकर वंचित तबके के बच्चों व उनके माता-पिता को इसके महत्व से अवगत करा रहा है.

Advertisement
X
आदित्‍य कुमार
आदित्‍य कुमार

शिक्षा का अलख जगाने के लिए लखनऊ के आदित्‍य कुमार साइकिल से बीते लगभग 20 वर्षो से गांव-गांव घूम-घूमकर वंचित तबके के बच्चों व उनके माता-पिता को इसके महत्व से अवगत करा रहा है.

Advertisement

इसी दौरान, लगभग तीन महीने में 1,400 किलोमीटर की दूरी तय कर वह जम्मू एवं कश्मीर पहुंचा. सफर के दौरान गांवों में चल कक्षा (मोबाइल क्लासेज) चलाने वाले विज्ञान में स्नातक आदित्य कुमार ने कहा, "मेरी इच्छा शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की है. मैं खासकर उन बच्चों तक शिक्षा पहुंचाना चाहता हूं, जो वंचित तबके से आते हैं."

40 की उम्र पूरी कर चुके कुमार ने कहा कि वह लखनऊ में बीते लगभग 20 वर्षो से चल कक्षा का संचालन कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, "साइकिल मेरा घर और स्कूल बन गया है. अब तक मैं करीब पांच हजार गरीब, अनाथ व जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे चुका हूं. जब मैं सड़कों पर रहता था, तो एक शिक्षक ने मेरी जिंदगी बदल दी थी और स्नातक पूरी करने में मेरी मदद की. इसी ने मुझे ऐसा करने को प्रेरित किया."

Advertisement

उत्तर प्रदेश से तीन महीने पहले सफर की शुरुआत करने वाले कुमार ने हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के सैकड़ों गांवों में चल कक्षा का संचालन किया. उन्होंने कहा कि उनका अधिकांश समय बच्चों को शिक्षा का महत्व बताने में बीता.

उन्होंने कहा, "मेरा मकसद बच्चों व उनके माता-पिता को जीवन में शिक्षा के महत्व से अवगत कराना है."

अपनी सामाजिक सेवा के लिए 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में वह नाम दर्ज करा चुके हैं.प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक से निशान-ए-इमाम पुरस्कार पा चुके कुमार ने कहा कि उन्होंने जीवनभर कुंवारा रहने का फैसला किया है, क्योंकि वह अपनी पूरी जिंदगी गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए देना चाहते हैं.

इनपुट: IANS

Advertisement
Advertisement