महाराष्ट्र में अपनी मांगों के समर्थन में विद्यालयों के लगभग 7,00,000 शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं, जिससे शुक्रवार को राज्य के 60,000 से अधिक सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय बंद रहे.
विभिन्न शिक्षक संघों का मातृ संगठन शिक्षक भारती के प्रमुख कपिल पाटील ने कहा, 'हम राज्य सरकार के उस फैसले का विरोध कर रहे हैं, जिसके तहत 45,000 से अधिक शिक्षक अचानक अधिशेष हो जाएंगे. जिसका परिणाम लाखों छात्रों को भुगतना पड़ेगा. इससे शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन भी हो सकता है.'
यह फैसला इस साल अक्टूबर में लिया गया था, लेकिन शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की गठबंधन सरकार के शिक्षा मंत्री राजेंद्र दर्डा ने इसे लागू होने से रोक दिया था.
पाटील ने कहा, "अब नई भाजपा-शिवसेना सरकार बन चुकी है और स्कूली शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने फैसले को लागू करने का निर्णय लिया है. ऐसा लगता है कि वे सरकारी सहायता प्राप्त सभी विद्यालयों को बंद करना चाहते हैं."
नागपुर में गुरुवार को विभिन्न शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले सात विधान परिषद सदस्यों और तावड़े के बीच हुई बैठक असफल हो जाने के बाद शिक्षकों ने इस हड़ताल का फैसला किया. पाटील ने बताया कि बैठक में तावड़े, फैसला लागू करने से नहीं रोकने के अपने निर्णय पर अटल बने रहे. वह एक सप्ताह के अंदर इस पर फैसला करेंगे.
बैठक में पाटील, विक्रम काले, सुधीर तांबे, नागो गनार, रामनाथ मोटे, डी. सामंत, श्रीकांत देशपांडे, सतीश चव्हाण, निरंजन डावखरे और अन्य लोगों ने मंत्री को मनाने की कोशिश की. बीते दिन शिक्षकों ने अपनी मांगों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए नागपुर में अर्धनग्न जुलूस निकाला था, जहां महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र चल रहा है.
पाटील ने बताया, 'तावड़े का व्यवहार एकतरफा है. हम यह देख कर हैरान हैं कि जब वह विपक्ष में थे तो हमेशा हमारा समर्थन करते थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद वह अपने वादे से मुकर गए.' महाराष्ट्र में 60,000 सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों सहित लगभग 1,00,000 विद्यालय हैं. इन विद्यालयों में लगभग 7,00,000 शिक्षक एवं गैर शिक्षक कर्मचारी नौकरी पर हैं.