2014 नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है. कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफजई को पुरस्कार मिलने की घोषणा हुई है. दोनों को संयुक्त रूप से शांति का नोबेल पुरस्कार मिला है. यह पुरस्कार 10 दिसंबर को दिया जाएगा. कैलाश सत्यार्थी बचपन बचाओ आंदोलन के प्रमुख हैं.
नोबेल पुरस्कार से जुड़े रोचक तथ्य
नोबेल पुरस्कार 2014 की घोषणा शुक्रवार को ओसलो में नॉरवेगियन नोबेल कमेटी के चेयरमैन थॉरजोम जैगलैंड ने की. विजेताओं को 278 नामांकित लोगों में से चुना गया है. ये अब तक के सबसे ज्यादा उम्मीदवारों की सूची है. नोबेल कमेटी ने बताया कि साल 2013 में 259 उम्मीदवार थे.
आओ सुनाएं तुम्हें मलाला की कहानी...
पुरस्कार मिलने के बाद कैलाश सत्यार्थी ने कहा, 'यह सम्मान पूरे देश का है, मैं मलाला के साथ मिलकर बाल मजदूरी से लड़ना चाहता हूं.
आतंकियों से टक्कर लेकर चर्चा में आईं मलाला
17 वर्षीया मलाला तब सुर्खियों में आईं, जब तालिबान आतंकवादियों ने लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने को लेकर उन्हें गोली मार दी थी.
कमेटी ने कहा, 'लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए मलाला ने कई वर्षों तक संघर्ष किया है और उदाहरण पेश किया है कि बच्चे और युवा अपनी स्थिति में सुधार के लिए खुद कोशिश कर कामयाब हो सकते हैं.'
बयान के मुताबिक, 'ऐसा उसने बेहद खतरनाक स्थितियों में किया है. वीरतापूर्वक संघर्ष के द्वारा वह लड़कियों की शिक्षा के अधिकार की प्रमुख प्रवक्ता बन गईं.'
गौरतलब है कि अक्टूबर, 2012 में पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर इलाके में स्कूल से घर जाते समय तालिबान के बंदूकधारियों ने मलाला को गोली मार दी थी. हमले के बाद उसे विशेष इलाज के लिए ब्रिटेन भेजा गया था.
नोबेल शांति पुरस्कार समिति ने दोनों को इस साल के दुनिया के टॉप पुरस्कार के लिए चुना. जूरी ने कहा, 'नॉर्वे की नोबेल समिति ने निर्णय किया है कि 2014 के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफजई को बच्चों और युवाओं के दमन के खिलाफ उनके संघर्ष तथा सभी बच्चों की शिक्षा के अधिकार के लिए उनके प्रयासों के लिए दिया जाए.'
कमेटी के मुताबिक, एक हिंदू और एक मुस्लिम, एक हिंदुस्तानी और एक पाकिस्तानी के लिए अहम बात यह है कि दोनों शिक्षा के अधिकार के लिए और आतंकवाद के खिलाफ समान संघर्ष में शामिल हुए.
कमेटी ने कहा कि पूरी दुनिया में आज की तारीख में 16.8 करोड़ बाल मजदूर हैं. साल 2000 में यह संख्या 7.8 करोड़ ज्यादा थी. दुनिया बाल मजदूरी को खत्म करने के नजदीक पहुंच चुकी है.
ये हैं कैलाश सत्यार्थी