इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए IIT में एडमिशन इस क्षेत्र में जाने की चाह रखने वाले हर स्टूडेंट का सपना होता है. वैसे परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति स्टूडेंट्स की राह और चाह में बाधा जरूर बनती है, लेकिन मंजिल पाने सच्ची लगन और दृढ़निश्चय हो, तो किसी के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं. ऐसी ही मिसाल इन चुनिंदा स्टूडेंट्स ने कायम की है :
बिहार के मधुबनी जिले के नीरज झा ने इस वर्ष आईआईटी प्रवेश परीक्षा में 1,217 वां रैंक हासिल की है. नीरज के पिता भगवान झा कोलकता में टैक्सी चालक हैं.
नीरज ने बताया, 'पिताजी के कमाए पैसे से परिवार का गुजारा कठिन है, ऐसे में रात दिन मेहनत कर उन्होंने बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे जुटाए हैं.'
नीरज का कहना है कि वह अब और कड़ी मेहनत से पढ़ाई करेगा बढ़िया रोजगार हासिल कर और परिवार की गरीबी दूर करने में पिताजी की सहायता करेगा.
बिहार के नालंदा जिले के ब्रह्मस्थान गांव के रहने वाले योगेश्वर कुमार और सरिता आरती के बेटे प्रेमपाल कुमार भी आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास हुए हैं. नतीजे आने के बाद प्रेमपाल की खुशी का ठिकाना नहीं है, क्योंकि उसने शुरू से ही इंजीनियर बनने का सपना देखा था.
प्रेमपाल ने कहा, 'खेत में मजदूरी करने वाले मेरे पिता को नहीं मालूम कि आईआईटी होता क्या है. अभाव के बीच सरकारी स्कूल से किसी तरह 10 वीं पास करने के बाद मुझे 'सुपर 30' की जानकारी मिली और मैं तैयारी के लिए पटना आ गया.'
प्रेमपाल ने बताया कि उसने आईआईटी में पढ़ने और इंजीनियर बनने का सपना जरूर देखा था, लेकिन जिस परिवेश में उसने पढ़ाई की थी, उसके लिए ये बेहद मुश्किल था.
झारखंड के नक्सल प्रभावित हरिहरगंज थाना क्षेत्र के पीपरा गांव के लोगों की तो खुशी का आज ठिकाना ही नहीं है, क्योंकि जिस गांव तक पहुंचने तक के लिए सड़क नहीं है उस गांव के मनीष कुमार आज आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफल हुए हैं.
मनीष के पिता डालटनगंज में एक प्राइवेट में शिक्षक हैं. मनीष ने बताया, "आज गांव में पिताजी का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है. उन्होंने जो सपना देखा था, वह आज पूरा हो गया.'
झारखंड के हजारीबाग जिले के रहने वाले राजमिस्त्री विजय प्रजापति के बेटे राहुल आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में 1,316 रैंक लेकर पास हुआ है. राहुल ने बताया कि उसने पिता की गरीबी को नजदीक से देखा है. शहर में राजमिस्त्री काम नहीं मिलने पर पिता दूसरे के खेत में मजूदरी करते हैं, तब जाकर उसके घर में चूल्हा जल पाता है. राहुल ने कहा कि आईआईटी में पढ़ने का उसका सपना 'सुपर 30' के संचालक आनंद सर के कारण ही पूरा हुआ है.
उल्लेखनीय है कि आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में छात्रों को तैयार कराने के लिए चर्चित 'सुपर 30' के 30 में से 25 स्टूडेंट्स ने इस साल एग्जाम में सफलता पाई है. परिणाम आने के बाद सुपर 30 परिसर में स्टूडेंट्स और सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने एक-दूसरे को बधाई दी और मिठाइयां बांटी गईं.
इधर, छात्रों की सफलता पर आनंद ने कहा, "यह सभी छात्रों की मेहनत का परिणाम है. गौरतलब है कि पिछले 14 वर्षो से पटना में स्थापित 'सुपर 30' से 333 छात्र-छात्राएं आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफल हो चुके है. सुपर 30 में बच्चों को आईआईटी की प्रवेश परीक्षा की नि:शुल्क तैयारी करवाई जाती है.
इनपुट: भाषा