भारत का ‘मंगलयान’ पहली ही बार में सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित हुआ तो इससे देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई थी. दुनियाभर से शुभकामनाएं मिलीं, लेकिन इस कारनामे को कर दिखाने वाली भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ‘इसरो’ के अनुसार ये तो अभी शुरुआत भर है. इसरो का कहना है कि दूसरा मंगलयान 2018 या 2020 से पहले संभव नहीं है.
इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन ने कहा कि हमने लाल गृह की कक्षा में यान स्थापित करने की अपनी क्षमता दुनिया को दिखा दी है. उन्होंने कहा, दूसरा मंगलयान यानी MOM 2 कब अपनी यात्रा शुरू करेगा इसके बारे में अभी तक तय नहीं है, लेकिन उन्होंने ये जरूर बता दिया कि यह 2016 में लॉन्च नहीं होगा. राधाकृष्णन ने कहा, 2018 या 2020 से पहले ऐसा करना संभव नहीं है और यान तभी भेजा जाएगा जब इसकी जरूरत महसूस की जाएगी.
उन्होंने बताया कि ‘चंद्रयान 2’ के अलावा सूर्य की जांच के लिए संशोधित ‘आदित्य मिशन’ व कई अन्य प्रोजेक्ट भी अभी लाइन में हैं. संशोधित आदित्य मिशन के बारे में उन्होंने बताया कि इस स्पेसक्राफ्ट में और ज्यादा उपकरण लगे होंगे. राधाकृष्णन ने कहा, हम इस मिशन के लॉन्च के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं और यह सोलर साइकल से जुड़ा हुआ है.
पल्लव बागला और सुभद्रा मेनन की किताब ‘रीचिंग फॉर द स्टार्स: इंडियाज जर्नी टू मार्स एंड बियोंड’ के लॉन्च के मौके पर राधाकृष्णन ने ये बातें कहीं. जब उनसे पूछा गया कि क्या 15 महीने की उस यात्रा के दौरान कभी भी इसरो को मंगलयान की सफलता को लेकर संदेह हुआ था. उन्होंने कहा, हमारे सामने तार्किक और तकनीकी बाधाएं थीं, लेकिन इसरो में हम कभी ना नहीं कहते. हमारा काम असंभव को संभव बनाना है.