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हाथ के हुनर से गरीब बच्‍चों के चेहरों पर मुस्‍कान लाती है शिरिजा

जिस उम्र में बच्‍चों की दुनिया घर और दोस्‍तों त‍क सिमटी होती है, उस उम्र में एक लड़की गरीब बच्‍चों के चेहरों पर मुस्‍कान लाने के लिए कितना कुछ कर रही है. आप भी जानिए इसके बारे में...

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शिरिजा राजे
शिरिजा राजे

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13 साल की शिरिजा राजे मुंबई में रहती है. उसकी उम्र के ज्‍यादातर बच्‍चे दिवाली पर पटाखे लाते हैं, दीए जलाते हैं और मिठाई खाते हैं पर शिरिजा इन सबसे अलग है. वह टाटा मेमोरियल हॉस्टिपल में एक वर्कशाप करेगी जिसमें वह गरीब बच्‍चों को हैंडिक्राफ्ट सिखाएगी.

शिरिजा कहती है, 'मैं अभी 13 साल की हूं और उम्‍मीद करती हूं कि हर दिवाली पर ज्‍यादा रौशनी हो और मैं लोगों के चेहरे पर मुस्‍कान दे सकूं.' इसके लिए शिरिजा लैंटर्न और अन्‍य हैंडीक्राफ्ट खुद बनाती है और उन्‍हें बेचती है.

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ऐसे हुई शुरुआत
एक दिन शिरिजा ने घर पर बने खाने में कमियां निकालकर उसे खाने से मना कर दिया. तब शिरिजा की मां उसे गरीब बस्‍ती में ले गईं. शिरिजा कहती है, 'मैं यह देखकर हैरान हो गई कि मेरी उम्र के और मुझसे बड़े बच्‍चे उस ट्रक के पीछे भाग रहे थे जो उन्‍हें हर रविवार खाना देने आता था. वह सब देखकर मैं रो पड़ी.'

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इस घटना के बाद से शिरिजा ने गरीब बच्‍चों की मदद करने का फैसला किया. उसने लैंटर्न बनाने शुरू किए और उन्‍हें अपने पड़ोसियों और रिश्‍तेदारों को 5 रुपए में बेचने लगी. उसकी मां ने भी ऑफिस में इन्‍हें बेचना शुरू किया. कुछ समय बाद ही शिरिजा के पास इतने पैसे हो गए थे कि वे दिवाली पर गरीब बच्‍चों के लिए मिठाइयां खरीद सकी. अब तो शिरिजा ने कई और हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्‍ट बनाने शुरू कर दिए.

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कैंसर पीडि़तों के लिए भी पैसे जुटाए
तीन साल पहले शिरिजा की मां को कैंसर हो गया. तब शिरिजा ने कैंसर पीडि़तों की मदद के लिए 30,000 रुपए एकत्रित किए थे.तब से अब तक शिरिजा गरीब बच्‍चों की मदद के लिए काम कर रही है. कहना होगा, इस तरह के बच्‍चों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए.

शिरिजा के बारे में और जानने के लिए यहां क्लिक करें.

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