प्रधानमंत्री मोदी के बारे में जितना कहा जाए कम है. ये तो आप-हम सभी जानते हैं कि मोदी को कविताएं लिखना पसंद है, फोटोग्राफी करते हैं, संन्यासी बनना चाहते थे, स्कूल में नाटक करते थे और एक बार तो मगरमच्छ का शिकार भी बनने वाले थे. पर हम आज उनके जीवन से जुड़ी 5 ऐसी बातें बता रहे हैं, जिनको आपने शायद पहले ना सुनी हों...
किसने कहा, 'पंजाबी खाना खा खाकर मोटे हो रहे हो, अब दिल्ली छोड़ो'
साल 2001 में एक दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मोदी को बुलाया और बोले- 'तुम यहां पंजाबी खाना खा-खाकर मोटे होते जा रहे हो. अब दिल्ली छोड़ो, यहां से जाओ'. मोदी ने पूछा, 'कहां'? तो अटलजी बोले, 'गुजरात जाओ और वहां चुनाव लड़ो'. मोदी बोले, 'मैं गुजरात से 6 साल दूर रहा हूं, तमाम मुद्दों से दूर हूं, ये कैसे होगा'. खैर थोड़ी देर बाद उन्हें पता चला कि अटलजी उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री बनाकर भेजना चाहते थे.
दीपावली पर बने थे बाल स्वयंसेवक
मोदी बचपन से ही आरएसएस से जुड़े. बताया जाता है कि साल 1958 में दीपावली के दिन गुजरात आरएसएस के पहले प्रांत प्रचारक लक्ष्मण राव इनामदार उर्फ वकील साहब ने मोदी को बाल स्वयंसेवक की शपथ दिलवाई थी. मोदी आरएसएस की शाखाओं में जाने लगे. लेकिन जब मोदी ने चाय की दुकान खोली तो शाखाओं में उनका आना जाना कम हो गया.
करते थे सफाई, धोते थे वकील साहब के कपड़े
मोदी की जीवनी लिखने वाले लेखक एमवी कामथ के मुताबिक गुजरात आरएसएस के दफ्तर हेडगेवार भवन में मोदी सुबह सबसे पहले पहुंच जाया करते थे. वे प्रचारकों के लिए चाय-नाश्ता बनाते थे. इसके बाद हेडगेवार भवन के सारे कमरों की सफाई में जुट जाते थे. आठ नौ कमरों की सफाई के बाद अपने और वकील साहब के कपड़े धोने की बारी आती थी.
सबसे पहले पहुंचते थे कार्यालय
मोदी के पुराने साथी बताते हैं कि वे देर से सोने के चलते कई बार संघ की सुबह की शाखा के लिए लेट हो जाते थे. पर मोदी कभी नहीं होते थे. वे सुबह ही कार्यालय पहुंच जाते थे.
पहनते थे सबसे अलग रंग
उनके दोस्त कहते हैं कि मोदी सबसे अलग रहते थे. जब सभी लोग फुल स्लीव कुर्ता पहनते थे तो नरेंद्र मोदी हाफ स्लीव का कुर्ता पहनते थे. जब सभी कार्यकर्ता खाकी पहनते तो मोदी सफेद रंग की निक्कर पहनकर आया करते थे.