देश के कई स्थानों पर शिक्षा में जाति, लिंग, वर्ग, अशक्तता, धर्म आदि के आधार पर भेदभाव की घटनाओं के बीच शिक्षा की वर्तमान व्यवस्था में सुधार की जरूरत को रेखांकित करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की 'स्कूल फॉर ऑल' योजना का खाका तैयार किया गया है.
NCERT की विशेष जरूरतों वाले समूह की शिक्षा से संबंधित विभाग के तहत तैयार 'समावेशी स्कूल का विकास' रिपोर्ट में 'स्कूल फॉर ऑल' का खाका पेश किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, सभी के लिए स्कूल अवधारणा के तहत समावेशी स्कूल को कुछ मापदंड को पूरा करना चाहिए.
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि स्कूल ने दृष्टिपत्र तैयार करके इसे समुदाय के साथ साझा किया है या नहीं. स्कूल का दृष्टिपत्र, समझ, मिशन और लक्ष्य समुदाय के कितने अनुरूप है. स्कूल के दृष्टिपत्र को छात्रों की विभिन्नताओं को स्वीकार करना और उन्हें महत्व देना चाहिए. स्कूल को सभी का प्रतिनिधित्व करने का संदेश देना चाहिए.
स्कूल में गरीब परिवार के बच्चों को सहयोग करने की नीति और कार्यक्रम तैयार करना चाहिए. शिक्षकों, समुदायों, अभिभावकों को स्कूल के समावेशी शिक्षा की नीति में विश्वास होना चाहिए. NCERT का कहना है कि आजादी के बाद से देश के 10 लाख स्कूलों में करीब 55 लाख शिक्षक 2,025 लाख छात्रों को पढ़ाते हैं.
80 प्रतिशत आबादी में करीब एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक स्कूल है. लेकिन इसके बाद भी प्राथमिक स्तर पर करीब आधे बच्चों के बीच में ही पढ़ाई छोड़ने की बात सामने आई है. NCERT की 'स्कूल फॉर ऑल' अवधारणा के तहत स्कूलों में उपयुक्त खेल सुविधा के साथ स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर रहने वाले छात्रों को विद्यालय तक लाने की व्यवस्था होने पर जोर दिया गया है.
सभी के लिए स्कूल के तहत समावेशी स्कूल की रूपरेखा इस तरह की बनायी गयी है कि स्थानीय समुदाय विद्यालय को सकारात्मक दृष्टि से देखे और खुशी से अपने बच्चों को भेजें. स्कूल सभी का समान रूप से प्रतिनिधित्व करे और इसमें विभिन्न समुदायों की सहभागिता हो.
स्कूलों में स्पीच थेरेपिस्ट, प्राथमिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, परामर्शक, विशेष शिक्षाविद आदि उपलब्ध हों. स्कूलों में बच्चों के संवाद संवर्धन से संबंधित सभी तरह की सुविधा उपलब्ध हो. इसमें मूक बधिर छात्रों के सहयोग की सुविधाओं के अलावा ब्रेल लिपि पढ़ने एवं लिखने में मदद की व्यवस्था हो. स्कूलों में अशक्त छात्रों की जरूरतों के अनुरूप शिक्षक उपलब्ध हों. छात्रों का आकलन सतत और व्यापक मूल्यांकन (CCE) के आधार पर हो.