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NCERT की किताबों से हटाएं प्राइवेट हॉस्पिटलों के लिए लिखी गईं विवादित बातें: IMA

नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की किताब का एक चैप्टर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और सरकार के बीच विवाद का मुद्दा बन गया है.

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NCERT building
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नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की किताब का एक चैप्टर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और सरकार के बीच विवाद का मुद्दा बन गया है.

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आईएमए ने इस मामले को लेकर स्वास्थ्य और मानव संसाधन मंत्रालय और एनसीईआरटी को एक पत्र भी लिखा है. जिसमें कहा गया है कि लेखक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

दरअसल आईएमए ने एनसीईआरटी की सातवीं क्लास की किताब में प्राइवेट हेल्थ केयर सर्विस के बारे में कही गई बातों पर कड़ी आपत्ति जताई है. आईएमए के अनुसार सोशल पॉलिटिकल लाइफ-2 सब्जेक्ट के दूसरे पाठ में रोल ऑफ गर्वमेंट इन हेल्थ में प्राइवेट हेल्थ फैसिलिटीज के सेक्शन में बहुत ही विवादपूर्ण बातें कहीं गई हैं. इसमें लिखा गया है कि पैसा कमाने के लिए यह प्राइवेट हॉस्पिटल अनुचित गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं.

किताब के पन्ना संख्या 22-23 पर एक कॉमिक स्टरिप में सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों की तुलना करते हुए जो दिखाया गया है वह भी अशोभनीय है. इसमें दिखाया गया है कि जिस बीमारी का इलाज प्राइवेट हॉस्पिटलों में 3500 रुपये में होता है सरकारी हॉस्पिटलों में उसी का इलाज 150 रुपये में होता है.

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि स्टूडेंट्स को यह संदेश जाएगा कि प्राइवेट क्षेत्र के डॉक्टर पैसे बनाने में लगे हैं लेकिन सरकारी खर्च की तुलना में हिसाब लगाते हुए प्राइवेट हॉस्पिटलों के मूलभूत ढांचे, मेडिकल उपकरणों, स्टाफ के वेतन, डॉक्टरों की तनख्वाह और साथ जुड़े हुए मेडिकल कॉलेजों के खर्च पर गौर नहीं किया गया. इन खर्चों को बिना जोड़े सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के हॉस्पिटलों की तुलना नहीं की जा सकती.

उन्होंने यह भी कहा कि एनसीईआरटी की किताबों से इस किस्म के वाक्य स्टूडेंट्स को कंफ्यूज कर देंगे और उनका प्राईवेट सर्विसेज से विश्वास हट जाएगा. उस उम्र में जब बच्चे अपना फैसला खुद लेने की अवस्था में नहीं होते इस तरह की शिक्षा प्राप्त करेंगे तो मरीज और डॉक्टर के संबंध पूरी तरह से बिगड़ जाएंगे.

आईएमए ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और एनसीईआरटी को चाहिए कि वह इस पाठ को हटाने के निर्देश दें और इसे दोबारा शामिल करने के लिए इसे सुधार कर लिखा जाए. इसकी प्रति राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति, जेपी नड्डा (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री), मानव संसाधन विकास मंत्री एवं निदेशक (एनसीईआरटी) को भी भेजी गई है.
-इनपुट: IANS

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