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अब एनडीए कैडेट्स भी पढ़ेंगे कश्मीरी, पाश्तो और डारी भाषाएं

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) ने अपने पाठ्यक्रम में कश्मीरी, पश्तो और डारी भाषाएं शामिल की हैं. इस कदम से प्रशिक्षु अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर में तैनाती के वक्त मदद मिलेगी.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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नेशनल डिफेंस अकेडमी ने अपने पाठ्यक्रम में कश्मीरी पाश्तो और डारी भाषा को भी शामिल कर लिया है. इससे जम्मू-कश्मीर पर पोस्टिंग होने पर जवानों को कोई दिक्कत नहीं होगी. एनडीए अधिकारियों के अनुसार, 'कोर्स इस महीने शुरू हो जाएगा और ये भाषाएं कोर्स के आखिरी साल में कैडेट्स को सिखाई जाएंगी. बता दें कि यह कोर्स तीन साल का होता है.

युवाओं को हमेशा जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सेवा करने की जरूरत पड़ती है, जहां पाश्तो और डारी भाषाएं अक्सर विरोधियों द्वारा बोली जाती है. अधिकारियों ने ये भी कहा कि कश्मीरी हमारी भाषा है और प्रदेश से हमारे कई जवान हैं. वहीं डारी और पाश्तो भाषा अफगानिस्तान में बोली जाती है.

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जब अधिकारियों से पूछा गया कि क्या इन भाषाओं का अध्ययन शुरू करने के लिए सेवा मुख्यालय को कोई विशिष्ट आवश्यकता महसूस हुई थी, इस पर अधिकारी ने कहा कि कोई विशिष्ट मांग नहीं थी. आधुनिक भाषाओं का अध्ययन एनडीए में अपनी स्थापना के बाद से एक जनादेश रहा है. हिंदी पहले से ही पाठ्यक्रम का हिस्सा है और यह कैडेट्स को पढ़ाई जाती है.

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प्रीमियर डिफेंस एजुकेशन और ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के पाठ्यक्रम के अनुसार दूसरे, तीसरे और चौथे सेमेस्टर में विदेशी भाषाएं भी पढ़ाई जाती है. इन विदेशी भाषाओं में चीनी, अरेबिक, फ्रैंच और रशियन शामिल है.

तीनों रक्षा सेवाओं के मुख्यालय द्वारा एनडीए के पाठ्यक्रम की नियमित अंतराल पर समीक्षा की जाती है और अकादमी के साथ-साथ एक संयुक्त प्रशिक्षण समिति इसके क्रियान्वयन की समीक्षा करती है.

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