राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज यहां कहा कि भारत में बच्चों के अंदर मूल्यों की समझ पैदा करने तथा ऐसी शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रेरित शिक्षकों की जरूरत है जिससे जाति, समुदाय और लैंगिक बंधन समाप्त हों.
तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे शिक्षा के प्रतिष्ठित प्राचीन केंद्रों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने शिक्षण संस्थानों से प्रतिभाओं को शिक्षण की ओर आकर्षित करके फिर से नेतृत्व देने की अवस्था पर पहुंचने का आह्वान किया. मुखर्जी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा यहां आयोजित एक समारोह में 2014 के लिए करीब 300 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा, मेरा मानना है कि हमें पहले से ज्यादा आज प्रेरित शिक्षकों की जरूरत है जो हमारे बच्चों में त्याग, सहिष्णुता, बहुलता, समझदारी और दया के मूल्यों को भरें.
उन्होंने कहा, मैं एक प्रेरित शिक्षक को मूल्य-आधारित, मिशन से प्रेरित, स्व-प्रेरित और परिणामोन्मुखी व्यक्ति के रूप में परिभाषित करंगा. उन्होंने कहा कि एक प्रेरित शिक्षक छात्रों के व्यक्तिगत लक्ष्यों को सामाजिक और राष्ट्रीय लक्ष्यों से जोड़ता है. इस तरह के शिक्षक न केवल मस्तिष्क से बल्कि हृदय से भी सोचने के लिए प्रेरित करते हैं. राष्ट्रपति ने कहा, वे शब्दों, गतिविधियों और कार्यों के माध्यम से छात्रों को प्रेरित करते हैं और उन्हें कार्य प्रदर्शन एवं सोचने के उच्च स्तर तक उन्नत करते हैं। शिक्षकों पर जागरक, सतर्क और विद्वान नागरिकों के निर्माण की जिम्मेदारी होती है जो हमारे राष्ट्र का भविष्य बनाते हैं.
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आज तेजी से बदलती दुनिया में जहां नये विचार , मूल्य और अवधारणाएं तेजी से पुरानों की जगह ले रही हैं, ऐसे में किसी भी विद्यार्थी के लिए शिक्षा की गुणवत्ता का महत्व और बढ़ गया है.
उन्होंने शिक्षक दिवस पर देश के सभी शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं और उनकी सेवा तथा प्रतिबद्धता के लिए आभार प्रकट किया.
इनपुट: भाषा