सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने उस आदेश को नहीं बदला, जो उसने गुरुवार को देश के सभी निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस में प्रवेश के लिए एक कॉमन टेस्ट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) इसी वर्ष से लागू करने के लिए दिया था.
शुक्रवार को एक बार फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई और कहा कि दो चरणों के टेस्ट से परेशानी होगी. सर्वोच्च न्यायालय 3 मई को एक बार फिर मामले पर सुनवाई करेगा. मेडिकल प्रवेश परीक्षा 1 मई को ही होगी. कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को कहा की अगर कोई अर्जी देनी है तो दें, सुनवाई पहले से तय तीन मई को ही होगी.
अटॉर्नी जनरल ने दी दलील
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये लाखों छात्रों के भविष्य का सवाल है, उन्हें ये नहीं लगना चाहिए कि उनके साथ सही नहीं हुआ. राज्यों में स्थानीय भाषाओं और हिंदी में भी टेस्ट होता है, लेकिन NEET अंग्रेजी में है. ऐसे में छात्रों को ये नहीं कहा जा सकता कि आप 30 दिन में अंग्रेजी में तैयारी करो, क्योंकि हिंदी में पेपर नहीं होगा.
केंद्र ने दिये थे सुझाव
केंद्र ने सुझाव देते हुए कहा कि 24 जुलाई को ही एक साथ परीक्षा होनी चाहिए. अगर टेस्ट 1 मई को होता है तो हिंदी और इंग्लिश मे होना चाहिए. 24 जुलाई को टेस्ट अंग्रेजी और 6 स्थानीय भाषाओं में होना चाहिए.
दो चरणों में होगी परीक्षा
सीबीएसई ने कोर्ट में NEET परीक्षा दो फेज में कराने का प्रस्ताव दिया था, जिसमें पहले फेज की परीक्षा 1 मई और दूसरा 24 जुलाई को होगी. इन दोनों का कम्बाइंड रिजल्ट 17 अगस्त को जारी होगा. पहले चरण को 6 लाख 50 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी इसमें हिस्सा लेंगे. दूसरे चरण में 2 लाख 59 हजार से ज्यादा छात्र बैठेंगे.