अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग को दुनिया एक ऐसे शख्स के तौर पर जानती है जिसने चांद पर पहला कदम रखा था. उनका निधन आज ही के रोज 2012 में 25 अगस्त को हुआ था.
नील आर्मस्ट्रांग का जन्म 5 अगस्त 1930 को अमेरिका के ओहियो प्रान्त के वापाकोनेता में हुआ था. चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले नील में हवाई यात्राओं के प्रति रुचि बचपन से ही शायद तभी जाग गई जब उनके पिता उन्हें हवाई उड़ानों को दिखलाने ले जाया करते थे. 6 साल की उम्र में ही उन्हें पिता के साथ अपनी पहली हवाई यात्रा का अनुभव हुआ.
बहुत कम लोगों को पता है कि अंतरिक्ष यात्री बनने से पहले उन्होंने अमेरिकी नेवी की तरफ से कोरियाई युद्ध में हिस्सा लिया था. नील ने 16 साल की उम्र में अपने ड्राइविंग लाइसेंस से पहले उन्होंने पायलट लाइसेंस हासिल कर लिया था. वह नासा के पहले नागरिक अंतरिक्ष यात्री थे, जिसने 1966 में जेमिनी 8 में कमांड पायलट की भूमिका अदा की.
नील 200 से ज्यादा तरह के विमान उड़ा सकते थे. 21 जुलाई 1969 में उन्होंने पहली बार चांद पर कदम रखा और 2.5 घंटे की स्पेस वॉक की थी. आर्मस्ट्रांग अपोलो 11 अंतरिक्षयान में सवार हुए थे जो 20 जुलाई 1969 को चंद्रमा पर उतरा था. उनके साथ एक अन्य अंतरिक्षयात्री एडविन एल्ड्रिन भी थे.
आर्मस्ट्रांग ने 1971 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा छोड़ दिया था और छात्रों को अंतरिक्ष इंजीनियरिंग के बारे में पढ़ाने लगे थे. वह दिल की बीमारी से जूझ रहे थे. जिसके लिए उन्होंने ऑपरेशन भी करवाया था, लेकिन इसके बाद उनकी हालत और बिगड़ती गई और 25 अगस्त 2012 को उन्होंने दम तोड़ दिया. चन्द्रमा को लेकर कई मिथकों और भ्रांतियों से घिरी मानव सभ्यता को आज विज्ञान ने एक नई दिशा दिखाई थी, जो भविष्य में कई अभियानों का आधार बनी.