कानून की पढ़ाई कर रहे स्टुडेंट्स के आगे की ओर बढऩे के लिए काफी कुछ है क्योंकि देशभर में स्टडी की नई-नई ब्रांच खुल रही हैं. इन दिनों देश के प्रमुख लॉ स्कूल आकर्षक और नए स्पेशलाइजेशन ऑफर कर रहे हैं.
आज लायर्स की मांग सिर्फ कोर्टरूम तक सीमित नहीं है. देशभर में बैंक से लेकर मीडिया फर्मों तक अच्छे लॉयर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है. सुप्रीम कोर्ट के वकील अखिल सिब्बल बताते हैं, ‘हर दिन बहुत से नए कानून बन रहे हैं, जिसके लिए स्पेशलाइजेशन के नए फील्ड तैयार हो रहे हैं. लॉ लगातार विकसित होने वाला फील्ड है, जो समाज में घटित होने वाली घटनाओं के मुताबिक अपने को ढालता है.’
इंटरनेट के विस्फोट के साथ ही इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स और साइबर लॉ ऐसे दो सब्जेक्ट हैं जो लॉ स्टुडेंट के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. दिल्ली में लॉ की एक स्टुडेंट श्रीति गुरुवारा कहती हैं, ‘इस समय स्पेशलाइजेशन के लिहाज से इंटरनेट लॉ वास्तव में काफी रोचक क्षेत्र है. दूसरे कानूनों के विपरीत ऐसे मामलों के लिए केस बनाना कठिन होता है, जो ऑनलाइन घटित हो रहे हैं क्योंकि इनमें पहचान वर्चुअल होती है. इसलिए आज के साइबर लॉयर्स के लिए यह समझना बड़ी चुनौती है कि वर्चुअल माहौल में होने वाले अपराध और कानून के उल्लंघन से कैसे निपटें.’नया क्या है?
- न्यूक्लियर लॉ: यूनिवर्सिटी ऑफ डनडी, स्कॉटलैंड
- साइबर लॉ: सिम्बायोसिस लॉ स्कूल, पुणे
- एनवायर्नमेंटल लॉ: यूनिवर्सिटी ऑफ केंट, यूके
- इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ: आइआइटी
- खडग़पुर, पश्चिम बंगाल
- मीडिया लॉ: एनएएलएसएआर, हैदराबाद
- टॉर्ट्स ऐंड कॉन्ट्रैक्ट्स: तिलकमांझी
- भागलपुर यूनिवर्सिटी, बिहार
दुनियाभर में राजनैतिक अस्थिरता बढ़ रही है, ऐसे में प्रतिरक्षा, ह्यूमन राइट्स और न्यूक्लियर लॉ की स्टडी करने वालों की संख्या भी बढऩे लगी है. कार्डिफ यूनिवर्सिटी में लॉ स्कूल के हेड नाइजेल लोवे का कहना है, ‘सफल लॉयर बनने की कुंजी यह है कि कठोर मेहनत करें और इस बारे में जागरूक रहें कि आपके आसपास क्या हो रहा है. कानून समाज से काफी गहराई से जुड़ा होता है. लॉ सब्जेक्ट में आप सिर्फ टेक्स्टबुक पढ़कर सब कुछ नहीं सीख सकते. प्रैक्टिकल एक्सपोजर और एक्सपीरिएंस भी उतना ही महत्वपूर्ण है.’
लॉयर्स की इतनी मांग को देखते हुए अब इस सब्जेक्ट में स्पेशलाइजेशन ऑफर करने वाले इंस्टीट्यूट में सिर्फ एनएएलएसएआर, एनएलयू या एनयूजेएस ही शामिल नहीं हैं. अब स्टुडेंट्स सिम्बायोसिस लॉ स्कूल, इंडियन लॉ स्कूल, गलगोटिया यूनिवर्सिटी, जिंदल ग्लोबल स्कूल या एमिटी यूनिवर्सिटी जैसे अपकमिंग इंस्टीट्यूट से भी उसी क्वालिटी की एजुकेशन हासिल कर सकते हैं. वे इन इंस्टीट्यूट में कई रोचक, नए स्पेशलाइज्ड कोर्स भी कर सकते हैं जैसे फैमिली लॉ, हेल्थकेयर लॉ, कोर्ट क्राफ्ट, एनवायर्नमेंट लॉ या प्रॉपर्टी लॉ आदि. और जो लोग खुद लॉ फर्म स्टार्ट करना चाहते हैं, उनके लिए कुछ इंस्टीट्यूट में ऐसी डिग्री भी उपलब्ध है, जिसमें लॉ और आंट्रप्रेन्योरशिप को एक साथ जोड़ दिया जाता है. इन कोर्सेज को करने के बाद स्टुडेंट्स के पास रोजगार के ढेर सारे विकल्प खुल जाते हैं.
गुडग़ांव के एक स्टुडेंट, 18 वर्षीय निकेश मंगलानी कहते हैं, ‘मैं पिछले साल नेशनल लॉ एंट्रेंस एग्जाम पास नहीं कर पाया और मेरे पास दूसरी यूनिवर्सिटीज में अप्लाई करने का भी मौका नहीं था. इस साल मैंने दूसरी यूनिवर्सिटीज में ही अप्लाई करने की योजना बनाई. मैंने कई निजी और नेशनल लॉ स्कूलों के अपने दोस्तों से बात की. मुझे पता चला कि इन दिनों प्राइवेट यूनिवर्सिटीज से पास आउट ग्रेजुएट्स के लिए भी जॉब अपॉर्च्युनिटी उतनी ही अच्छी है. दोनों तरह के इंस्टीट्यूट में फैकल्टी की क्वालिटी अच्छी है.’
साफ है कि कोर्टरूम और क्लासरूम, दोनों जगहों पर लॉयर्स के दोनों हाथों में लड्डू हैं.