केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy) को मंजूरी दे दी और इसके साथ ही विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने कैंपस की स्थापना करने की अनुमति दे दी है. बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई थी. इस बैठक में 34 साल बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण 1986 में किया गया था और 1992 में इसमें कुछ बदलाव किए गए थे. इसके बाद तीन दशक गुजर गए हैं, लेकिन इसमें कुछ बड़ा बदलाव नहीं किया गया है.
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आपको बता दें, साल 2016 में नीति आयोग ने भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खोलने की अनुमति देने के लिए पीएमओ और एचआरडी मिनिस्ट्री (अब शिक्षा मंत्रालय) से सिफारिश की थी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग ने उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसमें यह कहा गया है कि देश में हायर एजुकेशन की स्थिति सुधारने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खोलने जरूरी हैं.
नीति आयोग ने दिए थे मोदी सरकार को ये सुझाव
- देश में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस की योजना को नीति आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुछ सुझाव दिए थे. आयोग के सुझाए विकल्पों में पहला यह है कि विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खोलने और उनके काम पर निगरानी रखने के लिए नया कानून बनाया जाए. उसके मुताबिक निगरानी रखने का काम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के जरिये हो सकता है.
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- दूसरा सुझाव यह है कि इसके लिए 1956 के यूजीसी में कानून में संशोधन किया जा सकता है और देश में विदेशी विश्वविद्यालयों को डीम्ड यूनिवर्सिटी की तरह चलाने की मंजूरी दी जा सकती है.
- तीसरा विकल्य यह है कि यूजीसी और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के मौजूदा प्रावधानों को ही इधर-उधर कर के ऐसा बंदोबस्त कर दिया जाए जिससे विदेशी विश्वविद्यालयों के अध्ययन केंद्र खुल सकें.
आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने कैंपस स्थापित करने की मंजूरी देने की योजना बनायी थी, वही इसका प्रस्ताव लेकर आई थी, लेकिन बीजेपी के द्वारा इसका विरोध किया गया था. नीति आयोग ने पीएमओ और एचआरडी मिनिस्ट्री को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस भारत में खोलने की बात कही गई थी. जिसमें कहा गया था, विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में बुलाने के लिए यूजीसी एक्ट में भी बदलाव किया जाएगा.