आज भी सैनिटरी पैड को इस्तेमाल करने के बाद हम में से कई ऐसी महिलाएं हैं, जो खुले में पैड फेंक देती हैं. जिसके वजह से पर्यावरण को दूषित होता है. ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में हर साल लगभग 113,000 सैनिटरी पैड कचरे में तब्दील होकर पर्यावरण पर बोझ बन जाते है. जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है.
आज हम ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं कि जिन्होंने इस्तेमाल किए हुए सैनिटरी पैड से निपटने के लिए एक ऐसी मशीन तैयार की है, जिससे पर्यावरण दूषित नहीं होगा. बेंगलुरु की सामाजिक कार्यकर्ता निशा नाजरे ने सैनिटरी पैड डिस्पोज करने की मशीन बनाई है.
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कैसे की शुरुआत
एक बार जब निशा कचरे और सैनिटरी पैड को एक सफाई कर्मी को दे रही थीं तो उनके मन में ख्याल आया कि एक इंसान के हाथों में गंदगी क्यों पकड़ाई जाए. जिसके बाद उन्होंने इसके लिए कुछ करने की ठानी. उन्होंने सोचा कि जब हम अपनी गंदगी को खुद ही नहीं छूना चाहते हैं तो किसी और के हाथों में उसे क्यों दिया जाए.
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3 साल की मेहनत के बाद बनाई मशीन
3 साल की मेहनत के बाद निशा की कंपनी Zuci Fem Care Private Limited ने एक पॉल्यूशन फ्री सैनिटरी डिस्पोज मशीन तैयार की. वहीं इस मशीन में कई सारे चैंबर्स बनाए गए हैं जिसमें पैड को डालने पर वे जलने लगते हैं. पैड से निकलने वाले धुएं को कंट्रोल करने के लिए उसमें पानी का इस्तेमाल होता है. निशा बताती हैं कि इससे जरा सा भी प्रदूषण नहीं होगा.
वहीं नीशा चाहती हैं कि उनकी तैयार की हुई सैनिटरी डिस्पोज मशीन रेलवे स्टेशन, अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स, स्कूलों और बीबीएमपी के ऑफिसों में भी लगाया जाए. निशा की टीम में अभी चार लोग काम कर रहे हैं. वहीं ये मशीन एक बार में 20 पैड को डिस्पोज कर सकती है.