अगले सत्र से इंजीनियरिंग के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिले के लिए ज्वाइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन (JEE) की रैंकिंग निर्धारित करने के लिए 12वीं क्लास के अंकों को तरजीह नहीं दी जाएगी. बीते गुरुवार मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि IIT काउंसिल की ओर से गठित एक कमेटी ने JEE पैटर्न में फेरबदल के सुझाव दिए. इन सुझावों को व्यापक परामर्श के लिए पब्लिक डोमेन में रखा गया. इसके बाद मंत्रालय ने स्टूडेंट्स के व्यापक हितों को देखते हुए ऐसा निर्णय लिया है.
मानव संसाधन मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक अशोक मिश्रा कमिटी की रिपोर्ट और पब्लिक फीडबैक की टेस्टिंग के बाद मंत्रालय ने 2017 से JEE पैटर्न में बदलाव का फैसला लिया है. पहले JEE में रैंकिंग निर्धारित करने के लिए 12वीं क्लास के मार्क्स को 40 फीसद वेटेज दिया जाता था. इसे आगे के लिए समाप्त कर देने की बात कही गई है. अब 12वीं के मार्क्स सिर्फ अहम पैरामीटर के तौर पर इस्तेमाल किए जाएंगे.
इस एग्जाम में बैठने के लिए स्टूडेंट को 12वीं क्लास में कम से कम 75 फीसदी अंक या 12वीं क्लास में टॉप 20 पर्सेंटेज पाने वाले स्टूडेंट्स का लाना जरूरी होता है. एससी, एसटी स्टूडेंट्स के यह 65 फीसदी है. सूत्रों के मुताबिक, JEE एग्जामिनेशन सिस्टम की अन्य चीजों में अब कोई बदलाव नहीं होगा.