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एडमिशन को लेकर मां-बाप का स्कूल के बाहर तीन महीने से अनोखा प्रदर्शन जारी

एक मां-बाप अपनी बच्ची के ‘शिक्षा के अधिकार’ के लिए पिछले तीन महीने से उस स्कूल के सामने अनोखा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं .जहां इनकी चार साल की बेटी रिदा खान को एडमिशन देने से इंकार कर दिया गया है.

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रिदा के साथ स्‍कूल के बाहर में प्रदर्शन करते माता-पिता
रिदा के साथ स्‍कूल के बाहर में प्रदर्शन करते माता-पिता

एक मां-बाप अपनी बच्ची के ‘शिक्षा के अधिकार’ के लिए पिछले तीन महीने से उस स्कूल के सामने अनोखा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जहां इनकी चार साल की बेटी रिदा खान को एडमिशन देने से इंकार कर दिया गया है.

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नर्सरी डिवीजन को सेंट मेरी नर्सरी स्कूल में अप्रैल महीने में L.K.G क्लास में एडमिशन के लिए फार्म निकाले गए, जिसके बाद 300 बच्चों का दाखिला हुआ. एंट्रेंस के लिए लिखित परीक्षा नहीं हुई लेकिन स्कूल ने अपने बनाए नियमों के अंतर्गत लगभग पांच हजार एंट्रेंस फॉर्म में से लगभग 300 बच्चियों को एडमिशन के लिए सेलेक्ट किया .

इस लिस्‍ट में इलाहबाद के करेली निवासी रईस अहमद की बच्ची का नाम शामिल नहीं था. जिसे लेकर रईस अहमद प्रिंसिपल सिस्टर श्वेता सीजे से मुलाकात की. वहां से उन्‍हें कोई जवाब नहीं मिला. आखिरकार उन्‍होंने आरटीआई के माध्यम से एडमिशन प्रोसेस की पारदर्शिता पर सवाल किए जिसका जवाब उन्हें इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि संस्थान आरटीआई के दायरे में नहीं आता.

जब कहीं से कोई राह नज़र नहीं आई तो रईस अहमद अपनी पत्नी और बेटी के साथ रोजाना स्कूल आने लगे और स्कूल के गेट पर बैठकर अपनी बेटी को पढ़ाने लगे. पिछले तीन महीने से उनका यह अनोखा विरोध प्रदर्शन चल रहा है लेकिन स्कूल पर किसी तरह का असर नहीं हो रहा है.

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इस पूरे मामले पर रईस अहमद का कहना है कि 'पहली लिस्ट आने के बाद मैं प्रिंसिपल से मिला उसके बाद मैं संतुष्ट होकर चला गया था लेकिन कुछ दिनों बाद एक और लिस्ट जारी की गई जिसमें कई बच्चों का एडमिशन लिया गया. पहली लिस्ट में मेरी बेटी का नाम नहीं आया तो मैंने सोचा कुछ अपने में कमी रही होगी. प्रिंसिपल ने भी कहा कि पूरी सीट फुल हो चुकी हैं. लेकिन उसके बाद भी कई बच्चों का एडमिशन हुआ लेकिन मेरी बेटी का नहीं हुआ.

स्‍कूल के बाहर बैठकर अपने हक की लड़ाई लड़ रही चार साल की रिदा भी बेहद दुखी है. उसका कहना है कि स्कूल वाले बोलते है की वो अपने माता पिता के साथ स्कूल से नहीं हटे तो उसकी बड़ी बहन को भी स्कूल से बाहर निकाल देंगे.

इस मामले पर स्कूल का पक्ष जानने के लिए जब आजतक की टीम स्कूल के गेट पर मिलने के लिए पहुंची तो स्कूल प्रशासन ने पूरा गेट ही बंद करा दिया और मिलने से भी साफ इंकार कर दिया.

आप को बता दें की 1866 में इलाहाबाद में ईश्वर के प्यार, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्ष ज्ञान, सच के प्रति तड़प जैसे मूल्यों को महिलाओं के भीतर शिक्षा के माध्यम से बढ़ाने के लिए सेंट मेरी कॉन्वेंट स्कूल की स्थापना की गई. आईसीएसई बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त यह स्कूल लड़कियों को नर्सरी से इंटर तक की शिक्षा प्रदान करता है.

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