दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने ऑ़ड-इवन स्कीम को फिर से 15 अप्रैल से लागू कर तारीख तय की है. इस स्कीम की मदद से वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण पर रोक लगाने का काम करेंगे.
इस स्कीम को दूनिया के और भी दूसरे देशों की राजधानी में भी लागू किया गया था. देखें कि अलग-अलग शहरों में इसके क्या प्रभाव रहे.
बीजिंग: बीजिंग में इस स्कीम को 2008 ओलंपिक से पहले इस्तेमाल किया गया था. चीन सरकार की मानें तो इस स्कीम की मदद से बीजिंग में 40 फीसद तक प्रदूषण पर रोक लग पाई थी. हालांकि इस दौरान वहां रोड पॉलिसी में कई बदलाव भी किए गए थे. यहां हर गलत करने वाले पर 200 युयान का जुर्माना था.
पेरिस: फ्रांस की राजधानी पेरिस में यह स्कीम साल 2014 के मार्च में महज एक दिन के लिए लागू किया गया था. इससे पहले यह स्कीम वहां साल 1997 में भी एक दिन के लिए लागू किया गया था. यहां जुर्माने की राशि 22 यूरो थी.
मेक्सिको सिटी: मेक्सिको में यह स्कीम साल 1989 में ही लागू की गई थी. स्कीम के शुरुआती दिनों में प्रदूषण के स्तर में 11 फीसद कमी देखी गई लेकिन लोगों ने भी इसका काट खोज निकाला और दो कारें खरीद लीं. जिसकी वजह से बाद में प्रदूषण के स्तर में 13 फीसदी बढ़त पायी गई.
बोगोटा: कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में इस स्कीम को पिको -प्लाका (peak and plate) नाम दिया गया था. इसके तहत वे हर सप्ताह में दो दिनों तक दो घंटे के लिए कारें बैन कर देते थे. हालांकि इस स्कीम से प्रदूषण में कोई खास फायदा नहीं देखा गया.
इसके अलावा यूरोप के कई प्रमुख शहरों जैसे लंदन, बर्लिन, डूसेलडोर्फ, रोम, कोपेनहेगेन, प्राग और एम्सटर्डम में लो इमिशन जोन है. इसके तहत अलग-अलग जगह पर मानक तय किए गए हैं और उन मानकों को पूरा न कर पाने वाली गाड़ियों को यहां की सड़कों पर नहीं चलने दिया जाता. हालांकि अब भी वहां कई ऐसे शहर हैं जो ऐसे किसी जोन के तहत नहीं आते जैसे ज्यूरिक, डबलिन, मैड्रिड, ब्रुसेल्स और बार्सिलोना.