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ओडिशा का 'दशरथ मांझी' बना नायक, बच्चों को स्कूल भेजने के लिए काट डाला पहाड़

नायक के इस कारनामे की वजह उनके तीन बेटे हैं. कभी स्कूल ने जाने वाले नायक ने अपने तीन बच्चों को स्कूल तक भेजने के लिए ये मुश्किल कारनामा कर दिखाया, क्योंकि उनके बेटों को स्कूल तक जाने के लिए पहाड़ को पार करना पड़ता था जो काफी मुश्किल भरा था.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी के बारे में तो सभी ने सुना और पढ़ा है लेकिन ओडिशा के जालंधर नायक भी दशरथ मांझी से कम नहीं हैं. नायक ने लगातार दो साल तक दिन-रात एक कर अकेले ही पहाड़ काटकर 8 किलोमीटर का रोड बना डाला और इस रोड को 15 किलोमीटर तक और बनाने का लक्ष्य है. ये रोड उनके गांव गुमसही को मुख्य मार्ग से जोड़ता है.

नायक के इस कारनामे की वजह उनके तीन बेटे हैं. कभी स्कूल ने जाने वाले नायक ने अपने तीन बच्चों को स्कूल तक भेजने के लिए ये मुश्किल कारनामा कर दिखाया, क्योंकि उनके बेटों को स्कूल तक जाने के लिए पहाड़ को पार करना पड़ता था जो काफी मुश्किल भरा था.

जिलाधिकारी बृंद्धा डी ने मंगलवार को जब स्थानीय अखबार में नायक की कहानी पढ़ी तो उन्होंने इस माउंटेन मैन को सम्मानित करने का फैसला किया. कलेक्टर ने नायक को आर्थिक मदद देने और खंड विकास अधिकारी को और मजदूर लगाकर रोड को पूरा कराने के निर्देश दिए हैं.

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नायक की कहानी भी बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी जैसी ही है जिसने अपने जीवन के 22 साल पहाड़ काटकर सड़क बनाने के लिए लगा दिए. यह काम उसने अपनी पत्नी की मौत के बाद किया, जिनकी मौत पहाड़ से गिरकर हो गई थी. बता दें कि इस गांव में अकेले नायक का ही परिवार रहता है, बाकी गांव वाले यहां संसाधनों की कमी के चलते गांव छोड़कर पलायन कर चुके हैं.

आजीविका के लिए नायक सब्जियां बेचता है लेकिन चाहता है कि उसके बच्चे पढ़ाई करें ताकि उनका जीवन आसान हो सके. अब जब प्रशासन ने नायक को कंधमाल उत्सव पर सम्मानित करने का फैसला किया है तो वह खुश है. खुशी इस बात की भी है कि जिला प्रशासन की मदद से गांव तक पक्की रोड का निर्माण कार्य पूरा किया जा सकेगा.

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