स्मारक में हिंदी में लिखी है ये इबारत
तीन नवंबर 1950 को एयर इंडिया की उड़ान एआई 245 (मालाबार प्रिसेंस विमान) और 25 जनवरी 1966 को एआई 101 (कंचनजंघा विमान) फ्रांस के मॉ ब्लां पर्वत शृंखला की गोद में चिरविलीन हुआ था, इन दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदियों में सैकड़ों भारतीयों के जीवन निशेष हुए. 24 जनवरी 1966 की दुर्घटना में भारत के प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक डॉ. होमी जहांगीर भाभा भी शिकार हुए थे. इन सभी भारतीयों की असामयिक और दुखद मृत्यु पर भारत और फ्रांस की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि.
पीएम मोदी का हुआ स्वागत
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में बृहस्पतिवार को फ्रांस पहुंचे. वो यहां द्विपक्षीय कूटनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों से शिखर वार्ता के उद्देश्य से गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी का यहां हवाईअड्डे पहुंचने पर यूरोप और विदेश मामलों के मंत्री जीन येव्स ले ड्रायन ने स्वागत किया. फ्रांस पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच मुलाकात हुई.
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ऐसे थे होमी जहांगीर भाभा, जिनका नाम स्मारक में दर्ज
भारत के लिए परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना करने और फिर उसे सच में तब्दील करने वाले होमी जहांगीर भाभा ने मार्च 1944 में ही नाभिकीय ऊर्जा पर अनुसंधान शुरू कर दिया था. डॉ भाभा को 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है. मुम्बई के पारसी परिवार में पैदा हुए भाभा को आज पूरी दुनिया जानती है. विज्ञान जगत में भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में पहला कदम रखने वालों में उन्हीं का नाम दर्ज है. उन्होंने साल 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की. वो वैज्ञानिक और प्रतिबद्ध इंजीनियर होने के साथ-साथ एक अच्छे आर्किटेक्ट भी थे. वो ललित कला व संगीत के उत्कृष्ट प्रेमी और लोकोपकारी थे. भारत को जब 1947 में आजादी मिली तो वो भारत सरकार द्वारा गठित परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम अध्यक्ष नियुक्त किए गए. उन्हें भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का जनक भी कहा जाता है. साल 1966 में 24 जनवरी के दिन एक विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया था. आज फ्रांस में उनके नाम से लगे स्मारक ने एक बार फिर हमें उनका अभूतपूर्ण योगदान याद दिला दिया.