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'बहादुरी की कहानी' है इमरजेंसी, किताबों में होगी शामिल: जावड़ेकर

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज से 43 साल पहले देश में लगी इमरजेंसी को 'काला अध्याय' और देश में लोकतंत्र पर हमला बताया.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज से 43 साल पहले देश में लगी इमरजेंसी को 'काला अध्याय' और देश में लोकतंत्र पर हमला बताया. साथी ही उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय इसपर कुछ सामग्री पाठ्य पुस्तकों में शामिल कराने पर काम करेगा, ताकि नयी पीढ़ी को इस बारे में जागरूक किया जा सके. बता दें कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी.

बीजेपी मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान जावड़ेकर ने कहा, 'हमारे पाठ्यपुस्तकों में आपातकाल पर कुछ अध्याय और स्तंभ हैं, उसकी समीक्षा की जाएगी और इस काले अध्याय और देश में लोकतंत्र पर हमले को पुस्तकों में और जगह दी जाएगी, ताकि नई पीढ़ी को जागरूक किया जा सके. हम इसपर निश्चित रूप से काम करेंगे.'

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..जब 25 जून 1975 की आधी रात लागू हुई थी इमरजेंसी

जावडेकर ने कहा कि आपातकाल अब महज शब्द लगता है, लेकिन यह वास्तव में 'बहादुरी की कहानी' और 'संघर्ष का उत्सव' है, जो पाबंदियों और अधिकारों में कटौती के दौर को खत्म करने के लिए किया गया था.

वहीं उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने भी इमरजेंसी को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने पर जोर दिया है. नायडू ने कहा कि यह समय आपातकाल के अंधेरे युग को पाठ्यक्रम का एक हिस्सा बनाने का है, ताकि युवाओं को लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का महत्व पता चल सके. नायडू ने कहा कि आपातकाल का महत्वपूर्ण सबक यह है कि यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह अपने साथी नागरिक की आजादी बनाए रखे और असहिष्णुता को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.

वो राष्ट्रपति, जिन्होंने किया था इमरजेंसी के आदेश पर दस्तखत...

किताब 'आपातकाल: भारतीय लोकतंत्र का अंधेरा समय' के हिंदी, कन्नड़, तेलुगू व गुजराती संस्करणों के विमोचन के मौके पर नायडू ने कहा, 'यह समय आपातकाल के अंधेरे युग को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का है, ताकि मौजूदा पीढ़ी को 1975-77 की भयावह घटनाओं के प्रति संवेदनशील किया जा सके और उन्हें लोकतंत्र के महत्व व निजी स्वतंत्रता का महत्व पता चल सके, जिसका वे आज आनंद ले रहे हैं.'

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उन्होंने कहा, 'हमारी इतिहास की किताबें और पाठ्यपुस्तक मध्ययुगीन अंधेरे दिनों और ब्रिटिश राज की बातें करती हैं, जबकि आपातकाल के गलत कारणों व परिणामों से सीख लेने के लिए इसे हिस्सा नहीं बनाया गया है.'

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