scorecardresearch
 

गरीबी में बीता बचपन, 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे रामनाथ कोविंद

रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति का पद संभालने जा रहे हैं. इनके राजनीतिक सफर में कई मोड़ आए. इन्होंने कई तरह की भूमिका निभाई. इन्होंने एक समाज सेवी, एक वकील और एक राज्यसभा सांसद के तौर पर काम किया. लेकिन इनकी पिछली पृष्टभूमि में जाए तो वो एक बहुत ही साधारण इंसान थे.

Advertisement
X
रामनाथ कोविंद
रामनाथ कोविंद

Advertisement

आज देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद शपथ लेंगे. हाल तक वे बिहार के राज्यपाल थे. कोविंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे पहले राष्ट्रपति होंगे. इनके राजनीतिक सफर में कई मोड़ आए. इन्होंने कई तरह की भूमिका निभाई. इन्होंने एक समाज सेवी, एक वकील और एक राज्यसभा सांसद के तौर पर काम किया. लेकिन इनकी पिछली पृष्टभूमि में जाए तो वो एक बहुत ही साधारण इंसान थे.

कानपुर में हुआ था जन्म, गरीबी में गुजरा बचपन

कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को कानपुर के परौंख गांव में हुआ था. उनका जन्म एक बहुत ही साधारण परिवार में हुआ. उस वक्त देश अंग्रेजों का गुलाम था. उस समय दलित होना किसी अपराध से कम न था. कोविंद का बचपन गरीबी में गुजरा. पर इन सभी मुसीबतों को भेदते हुए कोविंद आज उस मुकाम पर खड़े हैं, जहां उनकी कलम से हिंदुस्तान की तकदीर लिखी जाएगी. उनका गांव भी खुद को इतिहास के पन्नों में देख रहा है.

Advertisement

आने वाली हर मुसीबत को पछाड़ा

रामनाथ कोविंद विपक्षी उम्मीदवार मीरा कुमार को पीछे छोड़ सकते हैं. इससे पहले भी वो अपनी राह में आने वाले तमाम विरोधियों को पीछे छोड़ चुके हैं. सबसे पहले तो कोविंद ने अपने गांव की इस गरीबी को पछाड़ा. बता दें कि गरीबी की वजह से बचपन में रामनाथ कोविंद 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे और फिर पैदल ही 6 किलोमीटर वापस घर लौटते थे.

दरियादिल इंसान है कोविंद

गांव में रहने वाले रामनाथ कोविंद के साथियों को जहां उनकी काबिलियत पर नाज है. वहीं कोविंद की दरियादिली के भी वो कायल हैं. गरीबी में पैदा हुए रामनाथ कोविंद आगे चलकर एक नामी वकील हुए. बिहार के राज्यपाल भी बने, लेकिन जायदाद के नाम पर उनके पास आज भी कुछ नहीं है. एक घर था वो भी गांववालों को दान कर दिया..

 

Live TV

Advertisement
Advertisement