जस्टिस जेएस खेहर देश के 44वें चीफ जस्टिस बन गए. बुधवार को उन्होंने राष्ट्रपति भवन में पद ग्रहण करने की शपथ ली. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें शपथ दिलवाई. जस्टिस खेहर देश के पहले सिख चीफ जस्टिस हैं. जस्टिस खेहर का कार्यकाल सात महीने का रहेगा. मंगलवार को चीफ जस्टिस के पद से टीएस ठाकुर सेवानिवृत हुए थे.
बता दें कि जस्टिस खेहर ऐसे वक्त में चीफ जस्टिस बने हैं, जब कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर टकराव की खबरें आ चुकी हैं.जानें जस्टिस खेहर को
64 साल के जस्टिस जे एस खेहर का पूरा नाम जगदीश सिंह खेहर है और लोग इन्हें इनके सख्त मिजाज की वजह से भी जानते हैं. उनका जन्म पंजाब में हुआ और पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की. साल 2011 सितंबर से सुप्रीम कोर्ट के जज बनने वाले खेहर सख्त कानूनी प्रशासक हैं और कोर्ट के समय की बरबादी को बिल्कुल पसंद नहीं करते.
खेहर वकीलों पर भी सख्ती दिखाते हैं. पूरी तैयारी के साथ कोर्ट में न आने पर वकीलों को कई बार डांट सुनने को मिलती है. एक बार सुनवाई के दौरान खेहर कोर्ट रूम से बाहर निकल गए, क्योंकि वकील ने अपने कागजात सही तरीके से पेश नहीं किए थे. दरअसल, खेहर चाहते हैं कि वकील होमवर्क पूरा करके ही कोर्ट आएं.
दिनाकरन की याचिका पर सुनवाई होगी
इन फैसलों की वजह से जाने जाते हैं जस्टिस खेहर
- NJAC और अरुणाचल में प्रेसिडेंट रूल पर अहम फैसला देने वाली बेंच में रहे हैं. खेहर की अध्यक्षता वाली संविधानिक पीठ ने सरकार की महत्वकांक्षी राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) कानून को खारिज कर दिया था.
हाई कोर्ट के जज ने माना- मानसिक संतुलन बिगड़ने से सुनाया गलत फैसला
- 2जी स्कैम पर फैसला. देश के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला बताए जाने वाले इस मामले की सुनवाई भी जस्टिस खेहर ने ही की थी. करीब 15 महीनों तक जेल में रहने के बाद पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा को जमानत दी गई थी.
- सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की बेंच के साथ थे. खेहर और के एस राधाकृष्णन की बेंच ने सहरा के चेयरमैन सुब्रत रॉय सहारा को निवेशकों के पैसे नहीं लौटाने के चलते तिहाड़ जेल भेज दिया था. लाख कोशिशों के बावजूद खेहर ने मामले की दोबारा सुनवाई करने से मना कर दिया.
न्यायमूर्ति खेहर ने सहारा मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया