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पति की मौत के बाद राधिका ने चलाई एंबुलेंस, अब हासिल किया ये मुकाम

आज हम एक ऐसी महिला के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत के दम पर बुरे हालात में भी सफलता हासिल की जा सकती है.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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आज हम एक ऐसी महिला के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत के दम पर बुरे हालात में भी सफलता हासिल की जा सकती है. मंगलौर में रहने वाली राधिका दो बच्चों की मां हैं. उनके पति का निधन साल 2002 में हो गया था. पति की मौत के बाद वो बिल्कुल अकेली हो गईं थीं. बच्चों को जिम्मेदारी अब उनपर ही आ गई थी.

47 साल की राधिका ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है. वह सिर्फ 6 कक्षा तक पढ़ी है. बिना पति के घर चलाना काफी मुश्किल हो रहा था. जिसके बाद उन्होंने  बच्चों को पालने के लिए एंबुलेंस चलाने का फैसला किया. आज वह Cauvery Ambulance Service की मालिक हैं.

राधिका ने एंबुलेंस की शुरुआत भले ही मजबूरी में की थी लेकिन आज उनका ये काम उनकी पहचान बन चुका है. उन्होंने  बताया उनके पति ने उन्हें एंबुलेंस चलाने सिखाया था. उनका इस काम में बिल्कुल भी मन नहीं था. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यही काम उनके परिवार को पालने में मदद करेगा.

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राधिका कर्नाटक की रहने वाली हैं. उनकी शादी मेंगलुरू के रहने वाले सुरेश से शादी की थी. उनके पति सुरेश मेंगलुरू में एंबुलेंस चलाते थे. लेकिन साल 2000 में कुछ समय बाद वह बीमार पड़ गए. जब पति का इलाज शुरू किया तो मालूम चला कि उन्हें लीवर कैंसर था. 2 साल के बाद साल 2002 में उनका निधन हो गया.

राधिका ने बताया पति का छोड़ कर चले जाना बहुत मुश्किल दौर था. अब पति के चले जाने के बाद घर की जिम्मेदारी मुझ पर ही थी. उन्होंने बताया एंबुलेंस चलाने से पहले मैं पुत्तूर के अस्पताल में काम कर चुकी थी. लेकिन काम के दौरान कभी नहीं सोचा था कि एंबुलेंस चलानी पड़ेगी.

बता दें, उन्होंने दिन रात मेहनत करते हुए एंबुलेंस चलाई. वह अपनी बेटियों को घर पर छोड़कर रात में इमर्जेंसी सर्विस में एंबुलेंस चलाती थीं. इतना ही नहीं वह एंबुलेंस से ही केरला, बंगलुरु, महाराष्ट्र, यूपी और मध्य प्रदेश के चक्कर भी लगा आती थीं. राधिका बताती हैं, 'मैंने मरीज को अस्पताल पहुंचाने से लेकर आइसबॉक्स का इस्तेमाल और शव को पोस्टमॉर्टम भी पहुंचाया है.

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राधिका ने कहा पति के निधन के बाद उनके दोस्त ने एंबुलेंस चालने की सलाह दी. जिससे मेरे परिवार का खर्चा चल सके. जिसके बाद उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया. आपको बता दें, आज उन्होंने अपनी बेटी को इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन दिलवाया है. राधिका ने बताया कि अपनी पढ़ाई करते हुए दोनों बेटियों ने उनकी खूब मदद की. अब आने वाले समय में सारा  बिजनेस उनकी बेटियां संभालेंगी.

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