प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस ऑफिस के अंदर इस प्रताप गौरव केंद्र का दौरा पिछले महीने उदयपुर में किया था. इसके लिए संघ 100 रुपये एंट्री फीस भी लेता है. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर छात्रों के लिए 50 रुपये कर दिया गया था.
उच्च शिक्षा विभाग के कॉलेज निदेशालय की तरफ से 23 अक्टूबर को ये सर्कुलर सभी सरकारी कॉलेजों को जारी किया गया है.
सर्कुलर में इस बात को आधार बनाया गया है कि विद्यार्थियों में संस्कृति, संस्कार, पर्यटन, इतिहास संबंधी ज्ञानवर्धन, वीरता और कर्तव्य भावना विकसित करने के लिए यह जरूरी है.
हालांकि यह म्यूजियम आरएसएस का है और इसके कुछ हिस्से में महाराणा प्रताप से जुड़ी चीजें भी मौजूद हैं.
उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कॉलेज के रोजाना के खर्च से ही छात्रों को ले जाना है और इसी बजट से एंट्री फीस आरएसएस को देनी है. कॉलेज पहले से ही कम शिक्षा बजट से जुझ रहे हैं. ऐसे में संघ को सरकारी पैसे देने से कॉलेजों की वित्तिय हालत और खराब होगी.
वहीं, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की मीडिया चेयर पर्सन अर्चना शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के छात्रों पर संघ की विचारधारा थोपना चाहती है. प्रदेश व उदयपुर संभाग में महाराणा प्रताप से जुड़े कई ऐतिहासिक स्थल हैं, वहां पर छात्रों को भ्रमण करवाया जा सकता है. मगर सरकार संघ के प्रताप गौरव केंद्र का शैक्षणिक भ्रमण करवाकर संघ की विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहती है.
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से संचालित प्रताप गौरव केंद्र में प्रवेश को लेकर विवादित अपील जारी की गई थी. संचालकों ने यहां आने वाली महिलाओं से कहा था कि वो छोटी ड्रेस पहनकर या कम कपड़े पहनकर केंद्र में नहीं आएं.
महाराणा प्रताप की गौरव गाथाओं को बताने वाले प्रताप गौरव केंद्र के संचालकों ने मर्यादित और शालीन ड्रेस पहन कर केंद्र में प्रवेश करने की अपील की थी. संचालकों ने इस केंद्र को राष्ट्रीय तीर्थ का दर्जा दिया हैं, ऐसे में उनका मानना है कि पवित्र स्थान पर शालीन कपड़े पहन कर प्रवेश किया जाना चाहिए. संचालकों के अनुसार शालिन कपड़ों का मतलब अंग प्रदर्शन करने वाले कपड़े ना होकर शरीर को ढ़कने वाले कपड़े हों.