विंग कमांडर अभिंनंदन पर भले ही कितनी राजनीति हुई हो या सरकार ने वायु सेना के इस साहसी कदम का पूरा श्रेय अपने नाम ही क्यों न करना चाहा हो, लेकिन इन सबके बीच राजस्थान सरकार ने सभी बातों से ऊपर उठ कर विंग कमांडर अभिनंदन की शौर्य गाथा को अपने स्कूलों में पढ़ाने का फैसला किया है.
अभिनंदन की वापसी के साथ ही राजस्थान के शिक्षा मंत्री ने इस बात की घोषणा की थी और इस साल इसे पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है इसके साथ ही पुलवामा हमला और बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र भी स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बन गया है.
राजस्थान के स्कूलों में अभिनंदन की गाथा
राजस्थान सरकार ने प्रदेश के वीरों को राज्य के स्कूलों के सिलेबस में शामिल किया है जिसमें विंग कमांडर अभिनंदन का भी नाम है. दरअसल जब विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई के लिए पूरा देश दुआएं कर रहा था तब राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने घोषणा की थी कि अभिनंदन की वीरता की पढ़ाई राजस्थान के स्कूलों में की जाएगी. उसे देखते हुए इस साल से सिलेबस में शामिल कर लिया गया है.
सिलेबस में एयर स्ट्राइक से लेकर 12 मिराज फाइटर की कहानी
सातवीं से लेकर 10वीं तक की किताबों में पुलवामा आतंकी हमले के बाद किस तरह से 12 मिराज फाइटर विमानों ने पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक की और उसके बाद पाकिस्तान ने जब जवाबी हमला किया विंग कमांडर अभिनंदन ने मिग 21 से पाकिस्तान के एफ 26 को कैसे मार गिराया और उसके बाद किस तरह से अभिनंदन की रिहाई हुई उसकी पूरी कहानी सिलेबस में रखी गई है.
सरकार के योगदान का नहीं कोई जिक्र
हालांकि इसमें यह कहीं नहीं लिखा गया है कि बालाकोट एयर स्ट्राइक में कितने आतंकी मारे गए और इसमें केंद्र सरकार का क्या योगदान था .जिस तरह से बीजेपी दावा करती है कि मोदी सरकार की वजह से ही सब कुछ हो पाया, इस तरह की किसी भी बात को किताब में जगह नहीं दी गई है .यह ख्याल रखा गया है कि पूरी तरह से इसे सेना के शौर्य की कहानी बताई जाए .
राज्यवर्धन सिंह राठौर सहित राजस्थान के गई दिग्गजों का जिक्र
अभिनंदन को किताब में शामिल करने के लिए राजस्थान से रिश्ता भी ढूंढ लिया गया है .उसमें लिखा है कि अभिनंदन की प्रारंभिक पढ़ाई लिखाई जोधपुर में हुई थी क्योंकि उनके पिता यहीं पर एयरफोर्स में नौकरी करते थे .ओलंपिक पदक जीते राज्यवर्धन सिंह राठौर के बारे में भी उनकी उपलब्धियों को लिखा गया है. इसी चैप्टर में मृगेंद्र प्रताप की भी कहानी है. इन्होंने अपने पराक्रम की वजह से करगिल के युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे और उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया है.