बिहार के पटना जिले के निवासी 98 वर्षीय राजकुमार वैश्य ने नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय से एमए (अर्थशास्त्र) की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास की है. वैश्य ने 1938 में स्नातक की परीक्षा पास की थी. अब उन्होंने अपनी इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है.
उन्होंने बताया, 'आखिरकार, मैंने अपना सपना पूरा कर लिया है, अब मैं परास्नातक हूं. मैंने इस उम्र में यह साबित करने का निर्णय लिया था. कोई भी अपना सपना पूरा कर सकता है और कुछ भी हासिल कर सकता है. मैं एक उदाहरण बन गया हूं'.
वैश्य ने कहा कि वे युवाओं को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए. उन्होंने कहा, 'मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि कभी उदास और तनाव में ना रहें. मौका हर वक्त रहता है, केवल खुद पर विश्वास होना चाहिए'.
उन्होंने माना कि इस उम्र में विद्यार्थी की दिनचर्या का निर्वहन आसान नहीं था. सुबह जल्दी उठकर परीक्षा की तैयारी करना उनके लिए काफी मुश्किल था.
एनओयू के अधिकारियों ने बताया, 'वैश्य परास्नातक परीक्षा के प्रथम वर्ष 2016 और अंतिम वर्ष 2017 के दौरान निर्धारित तीन घंटे की परीक्षा देते थे. वह अंग्रेजी में लिखते थे और सभी परीक्षाओं में करीब दो दर्जन से ज्यादा शीट का प्रयोग करते थे'. वैश्य को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने भी परास्नातक के लिए आवेदन करने वाले सबसे उम्रदराज शख्स के रूप में मान्यता दी है.
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक अप्रैल को जन्मे वैश्य ने आगरा विश्वविद्यालय से 1938 में स्नातक की परीक्षा पास की थी और 1940 में कानून की डिग्री हासिल की थी. फिर पारिवारिक जिम्मदारी के चलते वे परास्नातक पाठ्यक्रम में शामिल नहीं हो सके थे. वे अपनी पत्नी के साथ पहले बरेली में रहते थे, लेकिन बाद में पटना रहने चले गए, क्योंकि उनकी देखभाल के लिए वहां कोई नहीं था.