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गांव में रह कर निकाला कामयाबी का रास्ता

रितेश गर्ग 'आई फॉर नेशन फाउंडेशन' के संस्थापक हैं और इस फाउंडेशन के जरिये वो युवाओं को अपने गांव लौटकर, गांव में ही काम करने को प्रेरित करते हैं. इसमें काफी हद तक वो कामयाब भी हुए हैं.

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रितेश गर्ग
रितेश गर्ग

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रितेश गर्ग से मिलें. मैनेजमेंट प्रोफेशनल और बनारस यूनिवर्सिटी से उच्च शि‍क्षा प्राप्त करने वाले रितेश गर्ग 'आई फॉर नेशन फाउंडेशन' के संस्थापक हैं. रुड़की के मंगलौर निवासी रितेश गर्ग का मानना है कि उन्नति और नौकरी के लिए अपने गांव को छोड़ने की जरूरत नहीं है. गांव में रहकर ही हम बहुत कुछ कर सकते हैं. आज रितेश को दुनियाभर के लोग जानते हैं. वो विश्वभर में लोगों को गांव की ओर वापस आने और वहां काम करने को प्रेरित करते हैं. इसके लिए उन्हें कई अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है. आइये जानते हैं रितेश की कामयाबी के सफर के बारे में...

- 26 वर्ष रितेश गर्ग 'आई फॉर नेशन फाउंडेशन' के जरिये गांवों से पलायन रोकते हैं.

- आज उनकी प्रेरणा लेकर 35 से ज्यादा लोगों ने स्टार्टअप्स शुरू किए हैं.

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- बनारस यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद जयपुर रग्स के साथ सोशल सेक्टर में काम किया, जहां उन्होंने 65 गांवों में काम किया.

- जयपुर रग्स के बाद रितेश ने टाटा जागृति यात्रा में ऑपरेशनल मैनेजर के तौर पर काम किया, जहां उन्हें क्षेत्रीय लोगों की समस्याओं और मुद्दों को जानने का मौका मिला. इसी बीच उनकी बैंक पीओ की जॉब भी मिली. पर उन्होंने वो नौकरी भी छोड़ दी.

- टाटा जागृति यात्रा से उन्हें एक बात समझ आ गई कि अगर क्षेत्रीय संसाधनों और युवाओं को मिला दिया जाए तो उससे बहुत बड़े बदलाव किए जा सकते हैं और कई क्षेत्रीय समस्याओं को सुलझाया भी जा सकता है. यही से रितेश को 'प्रेरणा यात्रा' का इंस्पीरेशन मिला.

- रितेश इसी प्रेरणा यात्रा के जरिये युवाओं को अपना कारोबार शुरू करने की प्रेरणा देते हैं.

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क्या है 'युवा प्रेरणा यात्रा'

हर साल 'आई फॉर नेशन फाउंडेशन' की ओर से तीन अप्रैल को दून विश्वविद्वालय से युवा प्रेरणा यात्रा शुरू होती है. इस यात्रा में सिर्फ वो लोग शामिल होते हैं, जिनके अंदर कुछ करने की क्षमता हो. खास बात यह है कि 100 सदस्यों वाली इस यात्रा में आईआईटियन से लेकर निरक्षर ग्राम प्रधान तक शामिल होते हैं. इस यात्रा में लोगों को कारोबार शुरू करने से संबंधि‍त सारी जानकारी दी जाती है.

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