उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आते ही अयोध्या में राम नाम की गूंज फिर तेज हो गई है. कई लम्बित पड़े प्राजेक्ट्स पर या तो काम शुरू हो गया है या फिर बातचीत. भाजपा के
लिए एक ऐसा ही प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट है रामायण म्यूजियम और रामायण सर्किट बनाने का, जिसे योगी ने सत्ता में आते ही हरी झंडी दे दी है.
इन उपायों से प्रसन्न हो जाते हैं महाबली हनुमान, करते हैं कृपा
आज तक को वो खुफिया दस्तावेज मिले हैं, जिनसे पता लगता है की केंद्र की मोदी सरकार का अयोध्या में museum बनाने का सपना जल्द ही साकार होने जा रहा है. इन
दस्तावेजों में वो पूरा प्लान कैद है, जो रामायण संग्रहालय की सूरत और स्वरूप कैसा होगा ये बताता है. इस मॉडल को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद से तैयार किया गया है.
ये हैं हनुमानजी के 15 अनूठे मंदिर...
भव्य रामायण म्यूज़ियम का ऐक्शन प्लान
ऐसा होगा अयोध्या में रामायण म्यूज़ियम
25 ऐकड़ में बनने वाला ये संग्रहालय लगभग 154 करोड़ की लागत से बनेगा. यह सरयू नदी के तट पर होगा. खास बात यह है कि संग्रहालय विवादित राम जन्मभूमि
मंदिर से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर होगा.
अभी तक के प्लान के मुताबिक सरकार चाहती है कि जिस तरह दिवाली के दिन राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे, उसी तरह 15 साल तक यूपी में सत्ता से
अलग रही भाजपा भी सत्ता में लौटी. इसलिए इस संग्रहालय की नींव दीवाली की शाम को रखी जाए.
महाबली हनुमान के इस रूप से आप होंगे अनजान...
अक्षरधाम के तर्ज पर बनेगा म्यूजियम
मॉरिशस के वर्ल्ड रामायण मूजियम से हुबहू मिलता जुलता भारतीय रामायण म्यूज़ियम को अक्षरधाम की तर्ज पर बनाया जाएगा.
इसमें भगवान राम के जीवन से जुड़ी सभी प्रमुख कथाओं का अंकन और चित्रण होगा. वहीं, लोग ऑडियो-विजुअल मोड से भी रामकथा और राम के जीवन दर्शन से रू-ब-रू हो सकेंगे.
इसमें लेजर शो, वॉटर स्क्रीन प्रोजेक्शन जैसे आकर्षण भी होंगे.
मुख्य भवन
संग्रहालय में घुसते ही सबसे पहले मुख्य भवन होगा, जिसमें सबसे पहले भगवान राम का दरबार होगा. पीछे हल्की आवाज में राम के भजन या संगीत सुनाई देगा. दीवारों पर
राम के अलग-अलग प्रसंग दिखाए जाएंगे.
क्या पैगम्बर मोहम्मद ने ट्रिपल तलाक के बारे में कुछ कहा था?
राम मंदिर का अनुभव
दूसरे हाल में दीवारों पर चारो ओर बड़ी-बड़ी स्क्रीन होगी, जिन पर प्रोजेक्टर से श्री राम के जीवन को डिजिटल 3D ध्वनि के साथ दिखाया जाएगा, जिससे दर्शकों को ऐसा
लगेगा कि सब कुछ उनके सामने घटित हो रहा है, जैसा कि स्टोन हेंज england, चीन की दीवार और विज्ञान संग्रहालय मुंबई में है.
राम से जुड़े अवशेष
देश और विदेश से अब तक मिले उन तमाम अवशेषों को यहां रखा जाएगा, जो रामायण काल की याद दिलाते हों. अयोध्या में खुदाई से मिले अवशेष और पतथर भी रखे
जाएंगे.
गुरुवार को यह काम करने से आता है दुर्भाग्य
विदेशों में राम कथा
बड़ी स्क्रीन पर म्यांमार, thailand और indonesia में हुई राम कथा दिखाई जाएगी. साथ ही म्यूजिकल रामायण का भी मंचन होगा.
हर भाषा की रामायण पर लाइब्रेरी
एक कमरे में रामायण पर पूरी सामग्री होगी. इसमें गोस्वामी तुलसीदास की बड़ी प्रतिमा होगी और दीवारों पर उनकी जीवनी पर बने चित्र. साथ ही रामचरित मानस के साथ
बाल्मीकि रामायण और अन्य सभी रामायण की कॉपी और ई-लाइब्रेरी भी होगी. लाइब्रेरी में पूरे भारत से संजोई गई हस्त रामायण भी रखी जाएगी.
राम पर शोध करने वाले लोगों के लिए रहने और खाने की सुविधा होगी.
प्रवचन केंद्र
देश विदेश के संत रोजाना सुबह शाम प्रवचन करेंगे. यज्ञशाला में सुबह शाम यज्ञ होगा.
विज्ञान केंद्र
विदेशी भक्तों के लिए augmented reality or virtual reality पर आधारित नई तकनीक से राम पर आधारित प्रोग्राम बनाए जाएंगे, जिनमें
हिंदू संस्कृति और धर्म के बारे में बताया जाएगा. इसके अलावा राम कथा के स्थलों को अलग-अलग दिखाया जाएगा जैसे की जन्मस्थान, विश्वामित्र द्वारा राजा दशरथ से राम
लक्ष्मण को यज्ञ रक्षा के लिए मांगना, सीता स्वयंवर, वन गमन, चित्रकूट, शबरी का बेर और रामेश्वरम जैसे स्थानों को दिखाने के लिए वैसे ही पेड़-पौधे वनस्पतिया लगाए जाएंगे. इन्हें
इस तरह लगाया जाएगा की पर्यटकों को लगेगा के वो उसी काल में जी रहे हैं.
365 दिन लोग देख सकेंगे रामलीला
म्यूज़ियम में 250 से ज्यादा भाषाओं में रामलीला का रोजाना मंचन होगा और राम से जुड़े हर त्योहार को मनाया जाएगा.
इस म्यूज़ियम के अलावा मोदी सरकार के उत्तर प्रदेश को आध्यात्मिक हब बनाने की योजना में रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट और बुद्ध सर्किट का केंद्र भी यूपी है. बुद्ध सर्किट का
केन्द्र गोरखपुर है, जोकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जिला है. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी बुद्ध सर्किट योजना का केंद्र बिन्दु गोरखपुर ही होगा. सीएम का यह संसदीय क्षेत्र
नाथ संप्रदाय के संस्थापक गुरु गोरक्षनाथ की तपोस्थली व कर्मस्थली रही है. योगी के सीएम बनने के बाद अब योजनाओं का रुख इधर होना तय है. गौतम बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली
कुशीनगर यहां से 50 किमी की ही दूरी पर है. साथ ही बुद्ध से जुड़े अन्य स्थान भी गोरखपुर की सीमा से जुड़े हैं. इसलिए बुद्ध सर्किट के विकास के दौरान गोरखपुर को सेंटर बनाया
जाएगा.
साफ है की 2019 से पहले राम मंदिर की दिशा में भाजपा क्या कदम उठा पाएगी, ये कोई नहीं जानता. शायद इसीलिए राम नाम से जुड़ी योजनाओं को आगे बढ़ाकर वो लोगों में चुनाव तक ये विश्वास पैदा करने की कोशिश में लगी है के वो राम को भूली नहीं.