टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा इंडिया टुडे की ऊंचे और असरदार लोगों
की फेहरिस्त में छठे पायदान पर हैं. वे युवा उद्यमियों को बढ़ावा देते हैं
और टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष होने के नाते परोपकारी कामों पर खूब खर्च करते
हैं.
इन वजहों से हैं गॉडफादर:
क्योंकि वे युवा उद्यमियों के पहले खेवनहार हैं, पिछले दो साल में 25 स्टार्ट-अप कंपनियों में 10 लाख से लेकर 10 करोड़ रु. तक धन लगा चुके हैं, और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया इन्वेस्टमेंट्स के साथ साझेदारी भी कर रहे हैं;
क्योंकि सरकार बार-बार सलाह के लिए उनके पास जाती है, चाहे वह 2015 में भारतीय रेलवे के बीमार नेटवर्क के कायापलट के लिए इनोवेशन काउंसिल के मुखिया की जिम्मेदारी हो या सरकारी बैंकों में व्यवस्था से जुड़े सुधार लाने के लिए प्रस्तावित बैंक बोर्ड ब्यूरो.
देने का जज्बा टाटा संस के 65.5 फीसदी हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष होने के नाते वे परोपकारी कामों पर सालाना 400 करोड़ रु. और समूह की अलग-अलग कंपनियों के 600 करोड़ रु. के खर्चों को नियंत्रित करते हैं.
रतन शूमाकर टाटा स्पोर्ट्स कारों के शौकीन हैं, अपनी लाल रंग की फरारी या कैडिलैक एक्सएलआर ड्राइव करते हुए मैरीन ड्राइव पर तड़के सैर पर निकल जाते हैं.
सबसे नजदीकी साथी कुत्तों से प्यार करते हैं और अपने कोलाबा हाउस के घर और समूह के मुख्यालय बॉम्बे हाउस में उन्हें रखते हैं. उन्होंने पेटकेयर पोर्टल DogSpot.in में निवेश भी किया है.