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देशभर में ITI की रेटिंग किए जाने की योजना

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने व्यावसायिक प्रशिक्षण में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए आईटीआई की रेटिंग करने की एक योजना शुरू की है. मौजूदा समय में देश भर में तकरीबन 12,000 आईटीआई हैं.

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श्रम व रोजगार मंत्रालय ने व्यावसायिक प्रशिक्षण में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए आईटीआई की रेटिंग करने की एक योजना शुरू की है. मौजूदा समय में देश भर में तकरीबन 12,000 आईटीआई हैं. पिछले तकरीबन पांच-छह वर्षों में आईटीआई की संख्या दोगुनी हो गई है. अगले पांच वर्षों के भीतर कई और आईटीआई खोलने का प्रस्ताव है. विकास की इतनी ऊंची दर के मद्देनजर इन संस्थानों के लिए रेटिंग प्रणाली की शुरुआत करना जरूरी समझा गया.

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रेटिंग योजना से विभिन्न संस्थानों के साथ-साथ वहां पेशकश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों (ट्रेड) की आपस में तुलना करने के लिए एक मानक कायम करना संभव हो गया है. इस योजना से इन संस्थानों में फर्क करने में भी आसानी होगी, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. ऐसे में उन संस्थानों में गुणवत्ता बेहतर होने की उम्मीद बढ़ गई है जो इस मामले में पिछड़ गए हैं. प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए गुणवत्ता बेहतर करना निश्चित तौर पर जरूरी है.

रेटिंग किए जाने से स्टूडेंट्स के साथ-साथ रिक्रूटर्स को भी सहूलियत होगी. निजी आईटीआई से जुड़े प्रामाणिक शुल्क ढांचे के तहत उन आईटीआई में 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क वसूले जाने की इजाजत है जिन्हें पांच या चार स्टार वाली रेटिंग प्राप्त है.

आईटीआई में मुहैया कराये जाने वाले व्यावसायिक प्रशिक्षण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पांच साल बाद आईटीआई का अनिवार्य रूप से पुन: संबद्धीकरण कराने का निर्णय भी राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी) द्वारा लिया गया है.

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एनसीवीटी उन आईटीआई में अगस्त, 2015 के सत्र से दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स को प्रमाण पत्र नहीं भी दे सकती है जिनका संबद्धीकरण वर्ष 2009 से पहले हुआ था और जिन्होंने जुलाई, 2015 तक एनसीवीटी से अपना संबद्धीकरण फिर से कराने के लिए आवेदन नहीं किया है.

रेटिंग प्रणाली एक ऐसे प्रबंधन साधन के तौर पर भी काम करेगी जिससे समस्याओं की पहचान करने और समुचित नीतिगत कदम उठाने में मदद मिलेगी. इसके लिए ये चीजें आवश्यक हैं..

1) एनसीवीटी में संबद्ध आईटीआई के लिए यह स्वैच्छिक है.

2) किसी भी संस्थान की रेटिंग दो वर्ष तक मान्य रहेगी.

3) रेटिंग प्रक्रिया से जुड़े शुल्क पर किसी तरह का नियमन नहीं रहेगा.

हालांकि, रेटिंग एजेंसियों को किसी खास संस्थान से वसूले जाने वाले शुल्क का खुलासा करना पड़ेगा. इकरा लिमिटेड, क्रिसिल, नैबेट, भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) एजेंसियों को पैनल में डाला गया है.

INPUT: इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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