scorecardresearch
 

निजता को सुप्रीम कोर्ट ने माना मौलिक अधिकार, जानें आपके लिए क्या हैं इसके मायने?

इस फैसले से केंद्र सरकार की उस दलील को बड़ा झटका लगा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि निजता मौलिक अधिकार नहीं है. लेकिन कोर्ट के इस फैसले के क्या मायने हैं. आइए समझते हैं.

Advertisement
X
निजता आपका मौलिक अधिकार
निजता आपका मौलिक अधिकार

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए निजता के अधिकार को नागरिक का मौलिक अधिकार बताया. मुख्य न्यायधीश जे.एस. खेहर की अध्यक्षता में 9 जजों की बेंच ने इस फैसले को सुनाया. इस फैसले से केंद्र सरकार की उस दलील को बड़ा झटका लगा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि निजता मौलिक अधिकार नहीं है. लेकिन कोर्ट के इस फैसले के क्या मायने हैं. आइए समझते हैं.

1. इस फैसले से आधार स्कीम के नाम पर होने वाली निजता के उल्लंघन को चुनौती दी जा सकेगी.

2. यह फैसला व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को भी चुनौती देने वाला होगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 सितंबर,2016 को एक आदेश दिया था जिसके मुताबिक व अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू कर सकता है. लेकिन 25 सितंबर, 2016 तक एकत्रित हुए डाटा को फेसबुक या अन्य कंपनियों को शेयर नहीं कर सकता है.

Advertisement

3. याचिकाकर्ताओं ने प्राइवेसी को लेकर कहना था कि राइट टू प्राइवेसी एक जन्मजात और कभी ना छिने जाने वाला मौलिक अधिकार है.

4. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आजादी का अधिकार में निजता का अधिकार भी शामिल है, यह एक नेचुरल राइट है. जिस बात की गवाही संविधान भी करता है और इससे नागरिकों को गारंटी मिलती है कि देश में उनके अधिकारों का अतिक्रमण ना हो.

5. याचिकाकर्ताओं के समूह ने प्राइवेसी के अतिक्रमण के तौर पर आधार कार्ड के इस्तेमाल को अनिवार्य बनाने को भी चैलेंज किया, साथ ही डाटा उल्लंघन पर भी अपनी चिंता जाहिर की.

6. वहीं केंद्र प्राइवेसी को अज्ञात और अव्यस्थित अधिकार बता चुका है, जिससे गरीबों को जीवन जीने के अधिकार राइट टू फूड, राइट टू शेल्टर से वंचित करने वाला बताया है.

7. इससे पहले सुनवाई में देश के अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में कहा था कि राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकार के तहत नहीं लाया जा सकता है.

8. 10000 लोगों पर हुए एक सर्वे के मुताबिक, ज्यादातर लोगों ने अपनी निजता को लेकर चिंता जताई कहा कि उनकी प्राइवेसी सुरक्षित रहे इसकी निगरानी के लिए कानून की जरूरत है.

9. सर्वे में अधिकतर लोग प्राइवेसी कानून के हक में हैं, लोगों का कहना है कि डिजिटल समय में उनका डाटा सुरक्षित रहना चाहिए.

Advertisement

 

 

Advertisement
Advertisement