रितुपर्णो घोष को भारतीय सिनेमा उद्योग के धूमकेतु का दर्जा प्राप्त है. उन्हें पूरी दुनिया एक ऐसे फिल्म निर्देशक के तौर पर जानती है जिसने भारतीय सिने जगत को समृद्ध करने में अहम भूमिका निभाई. वे साल 2013 में 30 मई को ही दुनिया को विदा कह गए.
1. घोष को भारतीय सिनेमा जगत के उन चुनिंदा लोगों में शुमार किया जाता है जिन्होंने खुलकर अपनी समलैंगिकता को सामने रखा.
2. उन्होंने भारतीय सिनेमा की चोखेर बाली फिल्म का निर्देशन किया जबकि चित्रांगधा में उन्होंने जेंडर के मसले को उठाकर पूरे देश को संदेश दिया कि आप चाहे जैसे हों खुद को स्वीकार करें.
3. वो अपनी पसंद और पहनावे के तरीके को सबके सामने खुलकर रखने में विश्वास रखते थे.
4. सिर्फ दो दशकों के भीतर उन्होंने 12 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते.
5. बंगाली फिल्म अरेक्ति प्रेमेर गोल्पो में उन्होंने एक समलैंगिक निर्देशक का किरदार निभाया. IPC की धारा 377 को अवैध ठहराने के बाद समलैंगिकता पर बनने वाली यह पहली फिल्म थी.
6. उनका मानना था कि समलैंगिक अक्सर अकेले हो जाते हैं और कोई उनकी देखभाल नहीं करता, ऐेसे में उन्हें स्वीकार किया जाना जरूरी है.