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ऑटो ड्राइवर की बेटी को मिली स्कॉलरशिप, विदेश में करेगी पढ़ाई

मिलिए- इस ऑटोड्राइवर की बेटी से. विदेश में पढ़ने के लिए हासिल की स्कॉलरशिप...

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Rutuja Bhoite
Rutuja Bhoite

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आप गरीब हैं या अमीर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. कामयाबी आपके कदम तब तक नहीं चुमेंगी जब तक आप काबिल नहीं बनोगे. आज की कहानी पुणे की रहने वाली 17 साल की रुतुजा भोईटे की है जिसने अपनी  मेहनत के दम पर विदेश में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप हासिल कर ली. उन्हें थाइलैंड के 'यूनाइटेड वर्ल्ड कॉलेज' (UWC) में दाखिला मिल गया है. जहां उनका एक भी पैसा नहीं लगेगा. वह पढ़ने के लिए विदेश जाने वाली अपने परिवार की इकलौती सदस्य हैं.

रुतुजा एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता ऑटोड्राइवर हैं. घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है. उनके परिवार की इनकम मात्र 10000 हजार रुपये है. पहले उनकी मां घर का खर्चा चलाने के लिए एक ब्यूटी पार्लर चलाती थीं, लेकिन किसी वजह से उन्हें वह पार्लर भी बंद करना पड़ गया. रुतुजा पढ़ाई में काफी अच्छी हैं उसका फोकस हमेशा अपनी पढ़ाई में रहता है. घर की स्थिति को देखते हुए उसने कभी गरीबी को अपनी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया.

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रुतुजा की जिंदगी उस समय बदल गई जब उन्होंने साल 2013 में 'टीच फॉर इंडिया' (TFI) में हिस्सा लिया.  उन्हें ब्रॉडवे-स्टाइल संगीत माया के नायक के रूप में चुना गया था, जिसमें विभिन्न पुणे स्कूलों के 30 अन्य बच्चे भाग ले रहे थे. बता दें, रुतुजा ल्यूकोडर्मा (एक प्रकार का त्वचा रोग है) जैसी बीमारी से लड़ रही थी, यहां हिस्सा लेने से पहले वह एक शर्मीली स्वभाव की लड़की थी जिसे लोगों के सामने बोलने से डर लगता था. लेकिन यहां आने के बाद उसने अपने अंदर काफी कुछ बदला. साथ ही हिम्मत और हौसला दोनों बढ़ा.

इंडियन वूमन ब्लॉग से बात करते हुए रुतुजा ने बताया- ये मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं विदेश पढ़ने जा रही हूं. यहां तक पहुंचने के लिए मैंने कड़ी मेहनत की है, जिस वजह से ये मौका नसीब हो पाया है. रुतुजा ने कहा, 'मैंने इस प्रोग्राम से जुड़कर खुद को निखारा है, हिम्मत और ज्ञान की कई बातें सीखी हैं जो जिंदगी भर मेरे काम आएगी.

ऐसे मिली स्कॉलरशिप

रुतुजा ने बताया यहां ट्रेनिंग के दौरान एक ऐसे छात्र से मिली जिसने इटली में अपना यूडब्ल्यूसी कोर्स पूरा कर लिया था. जिसने मुझे प्रेरित किया. फिर रुतुजा ने टू- स्टेज चयन प्रक्रिया में हिस्सा लिया जिसमें उन्होंने पर्सनल इंटरव्यू, फैकल्टी इंटरव्यू, टीम बिल्डिंग एक्टिविटी और ग्रुप डिस्कशन में हिस्सा लिया. जिसके बाद इस साल 29 मार्च को उन्हें खबर मिली की वह UWC में उनका चयन हो गया है. जहां वह दो साल बायोलॉजी, मैथ्स और फ्रेंच की पढ़ाई करेंगी. रुतुजा ने बताया भविष्य में वह एजुकेशन सेक्टर में ही अपना करियर बनाना चाहती हैं.

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उन्होंन कहा- यहां आने के बाद मेरी समझ एजुकेशन को लेकर और बढ़ी है. साथ ही ज्यादा नंबर को हासिल करने का दवाब भी कम हुआ है. बता दें, रुतुजा ने 9वीं तक की पढ़ाई पुणे नगरपालिका के संत गाडगे महाराज इंग्लिश मीडियम स्कूल में की. फिर अवसारा अकेडमी (avasara academy) में पढ़ने लगी.आज एक ऑटोड्राइवर की बेटी दूसरे छात्रों के लिए मिसाल बन गई है.

बता, दें रुतुजा के पुरे परिवार की इनकम मात्र 10000 हजार रुपये है, जिसमें उनके परिवार का खर्चा चलता है. जहां पहले वह लोगों के सामने बोलने से भी डरती थी, लेकिन आज स्कॉलरशिप हासिल करने बाद साबित कर दिया अगर कुछ करना चाहते हैं तो कोई भी आपको नहीं रोक सकता.

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