हिन्द-पाक विभाजन को बीते सदी की सबसे भयावह मानव जनित त्रासदी के तौर पर याद किया जाता है. इस विभाजन में लाखों विस्थापित हुए. न जाने कितनी महिलाओं के सुहाग उजड़े. माताओं के बच्चे फिर कभी न मिलने के लिए बिछड़ गए. गंदी सियासत की वजह से भले ही एक देश दो हिस्से में बंट गए हों लेकिन आम अवाम के लिए यह एक खौफनाक मंजर था. चारों तरफ कत्लेआम था.
इन तमाम झंझावातों और दर्द के बीच कुछ ऐसी भी लोग रहे जिन्हें आज देखकर और सुनकर लगता है कि हम कितने सुखद दौर में पैदा हुए है. दर्द जैसे शब्द तो जैसे हमारी जिंदगी में आए तक नहीं हैं. जोध इंदरजीत ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष सरदार जोत सिंह को ऐसी ही शख्सियत के तौर पर शुमार किया जा सकता है. वे हीरोइज्म की नई परिभाषा रचते हैं. पढें उनके संघर्षों की अद्भुत दास्तां...
पाकिस्तान के एक गांव में परिवार का दूध और कपड़ों का कारोबार था...
तब वह हिस्सा हिन्दुस्तान ही हुआ करता था. रातोंरात विभाजन का ऐलान हुआ और सारी चीजें तेजी से बदलने लगीं. चारों तरफ कत्लोगारत का मंजर था. अफरातफरी थी. देश के उस हिस्से में हिन्दुओं और सिखों को चुन-चुन कर मारा जाने लगा. लोगों की सारी जायदाद लूटी जाने लगी. इस भयावह मंजर का सबसे बड़ी शिकार महिलाएं और बच्चे रहे. इसी बीच जोध सिंह के परिवार को भी अपना जमा हुआ कारोबार छोड़ कर हिन्दुस्तान के लिए रवाना होना पड़ा.
मुसलमानों ने किया हमला और मुसलमानों ने ही बचाया...
स्थितियां भयावह होती जा रही थीं. गांव के गांव खाली होते जा रहे थे. जोध सिंह का परिवार ने भी फैसला किया कि वे अपना सबकुछ छोड़ कर किसी सुरक्षित स्थान के लिए रवाना हो जाएंगे. तभी कुछ मुसलमान धमक पड़े. उन्होंने उनके परिवार से कहा कि यदि वे उनके धर्म में शामिल हो जाते हैं तो वे उनकी सुरक्षा करेंगे. मगर यह बात सिख परिवार को नागवार गुजरी.
हालांकि उन्होंने उन मुसलमानों को प्रलोभन दिया कि वे उनकी सारी धनदौलत ले लें. बस उन्हें सुरक्षित हिन्दुस्तान पहुंचा दें. जोध सिंह के परिवार ने उन्हें कसम खिलायी. मुसलमानों ने उनकी इस बात को मान लिया और पूरे रास्ते उन्हें सुरक्षा देते रहे. रास्ते में उन्हें कई और हमलावर समूह मिले लेकिन उन मुसलमानों ने उन्हें सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दिया. उन्होंने जोध सिंह के पूरे परिवार को भारत की डोगरा रेजिमेंट के हवाले कर दिया. उन दिनों पाकिस्तान से हिन्दुस्तान लौटने वाले परिवारों की सुरक्षा डोगरा रेजिमेंट के हवाले थी.
गुरुद्वारे से लुधियाना रवाना हुए...
जोध सिंह और उनका परिवार हिन्दुस्तान में लौटने के बाद शरणार्थी की तरह कई दिनों तक गुरुद्वारे में रहा. वहां उन्हें उनके गांव के कई लोग मिले जो लुधियाना के आस-पास रह रहे थे. उनसे सत श्री अकाल करने के बाद उन्होंने अपने ठिकाने को लेकर पूछा. गांव वालों का कहना था कि लुधियाना में ऐसे कई घर हैं जो खाली हैं. साथ ही वहां काफी जमीन भी खाली है. वे चाहे तो किसी को अपना घर चुन लें.
पहले सौदे के तौर पर एक भैस खरीदी...
जोध सिंह किसी तरह लुधियाना तो चले आए लेकिन उनके पास करने को कुछ भी नहीं था. तभी उन्होंने देखा कि हिन्दुस्तान से मुसलमानों का एक जत्था पाकिस्तान के लिए रवाना हो रहा है. उस जत्थे में एक बुजुर्ग मुसलमान भी था जिसके पास एक बूढ़ी भैंस थी. उस बुजुर्ग को अपने अलावा इस भैंस को संभालने में बड़ी दिक्कत आ रही थी. जोध सिंह ने मौके की नजाकत को भांपते हुए उस बुजुर्ग का अभिवादन किया और पूछा कि क्या वे इस भैंस को बेचना चाहेंगे.
बुजुर्ग को तो जैसे बिन मांगी मुराद मिल गयी. उन्होंने 40 रुपये की पेशकश की. उनके पास वह भी पैसे नहीं थे. हालांकि भैंस कम-से-कम 200 रुपये की पड़ती. जोध सिंह ने अपनी बहन के कानों की बाली बेच दी. बदले में उन्हें 102 रुपये मिले. उन्होंने 40 रुपये देकर वह भैंस खरीद ली. वह उनका पहला सौदा था और उसके बाद फिर उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा. वे दुधारू पशुओं के कारोबार में कूद गए. धीरे-धीरे उनके धंधे की गाड़ी चल निकली. वे लुधियाना और कोलकाता के पशु कारोबार का एक बड़ा नाम बन कर उभरे.
दूध के कारोबार के साथ-साथ टेक्नोलॉजी में भी कूदे...
सरदार जोध सिंह को पंजाब के लुधियाना से बंगाल के कोलकाता आये हुए 68 हो गए हैं. एक तबेले से शुरू हुआ कारोबार अब टेक्नोलॉजी तक पहुंच गया है. एक इंग्लिश स्कूल में अपने बेटे का दाखिला न करा पाने से मायूस हुए जोध सिंह का वही बेटा अब इजीनियरिंग, मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े-बड़े शिक्षा संस्थानों को बखूबी चला रहा है. बंटवारे के समय पाकिस्तान से हिंदुस्तान का वो डरवाना सफर तय करने वाला वही शख्स आज परिवहन के क्षेत्र में अपना दबदबा कायम कर चुका है और लोगों का सफर आसान बना रहा है.
फौलादी इरादों और लोहे जैसा मजबूत दिन रखने वाला वही सिख आज लोहे और इस्पात का भी कारोबार कर रहा है. विभाजन के समय अपना घर-मकान छोड़ने और गुरुद्वारे में दिन-रात बिताने को मजबूर वही जोध सिंह आज अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट कंपनियों के जरियए बड़े-बड़े मकान और भवन बनवा रहा है.
यह कहानी प्राथमिक तौर पर योरस्टोरी डॉट कॉम पर पब्लिश हुई थी.