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12 साल में पास कर ली मैट्र‍िक की परीक्षा, जानिये कौन थीं वो होनहार

देश की पहली महिला गवर्नर और भारत कोकिला सरोज‍िनी नायडू का आज के दिन यानी 2 मार्च को 1949 में निधन हुआ था. जानिये उनके बारे में...

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सरोज‍िनी नायडू
सरोज‍िनी नायडू

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एक कहावत है कि बच्चा कितना होशियार है, इसका पता पालने में ही चल जाता है. स्वतंत्रता सेनानी, कवयित्री और देश की पहली महिला गवर्नर सरोजि‍नी नायडू ने बचपन में ही अपने हुनर का परिचय दे दिया था.

12 साल की उम्र में जब बच्चों को निबंध भी लिखना मुश्क‍िल लगता है, उस उम्र में सरोजि‍नी नायडू ने बड़े अखबारों में आर्टिकल और कविताएं लिखना शुरू कर दिया था.

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सरोजिनी नायडू के बारे में जानिये कई हैरान कर देने वाली बातें...

- सरोजि‍नी नायडू का फारसी नाटक मेहर मुनीर और कविता संग्रह द गोल्डन थ्रैशोल्ड काफी लोकप्रिय हुआ.

- उनकी आवाज में बेहद मिठास था, इसलिए उन्हें लोग भारत की कोकिला भी कहते थे.

- सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 में हुआ था. उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपध्याय एक वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे.

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- उन्होंने हैदराबाद के निजाम कॉलेज की स्थापना की थी. उनकी मां वरदा सुंदरी कवयित्री थीं और बंगाली भाषा में कविताएं लिखती थीं. शायद यही वजह है कि सरोजनी में उनके माता-पिता दोनों के गुण आए.

- सरोजिनी आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं. उनके एक भाई विरेंद्रनाथ क्रांतिकारी थे और एक भाई हरिद्रनाथ कवि, कथाकार और कलाकार थे.

- सरोजिनी नायडू होनहार छात्रा थीं और उर्दू, तेलगू, इंग्लिश, बांग्ला और फारसी भाषा में निपुण थीं.

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- बारह साल की छोटी उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी. उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी में पहला स्थान हासिल किया था.

- उनके पिता चाहते थे कि वो गणितज्ञ या वैज्ञानिक बनें, पर उनकी रुचि कविता में थी. उनकी कविता से हैदराबाद के निजाम बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने सरोजिनी नायडू को विदेश में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी.

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- 16 वर्ष की आयु में वो इंग्लैंड गई. वहां पहले उन्होंने किंग कॉलेज लंदन में दाखिला लिया, उसके बाद कैम्ब्रिज के ग्रीतान कॉलेज से शिक्षा हासिल की. वहां वे उस दौर के प्रतिष्ठित कवि अर्थर साइमन और इडमंड गोसे से मिलीं.

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- इडमंड ने सरोजिनी को भारतीय विषयों को ध्यान में रख कर लिखने की सलाह दी. उन्होंने नायडू को भारत के पर्वतों, नदियों, मंदिरों और सामाजिक परिवेश को अपनी कविता में समाहित करने की प्रेरणा दी.

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- सरोजिनी नायडू का निधन 2 मार्च 1949 में हुआ था.

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