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मैं एवरेज से थोड़ा खराब स्टूडेंट थाः सौरभ शुक्ला

इंडिया टुडे एजुकेशन समिट-2015 में एक्टर सौरभ शुक्ला ने दिल खोलकर बातें कीं. उन्होंने बताया कि वह बहुत ही खराब स्टूडेंट रहे हैं, इसलिए पोस्ट ग्रेजुएशन में आखिर में तंग आकर उन्होंने अपने मन की ठान ली और फिर एक्टिंग करने का मन बना लिया. इस तरह वह नौकरी कर लेने के कॉन्सेप्ट से अलग हो गए और एकदम अपारंपरिक फील्ड में चले गए. जो किसी यूनिवर्सिटी के तहत कवर नहीं होता था.

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समिट के दौरान सौरभ शुक्ला
समिट के दौरान सौरभ शुक्ला

इंडिया टुडे एजुकेशन समिट-2015 में एक्टर सौरभ शुक्ला ने दिल खोलकर बातें कीं. उन्होंने बताया कि वह बहुत ही खराब स्टूडेंट रहे हैं, इसलिए पोस्ट ग्रेजुएशन में आखिर में तंग आकर उन्होंने अपने मन की ठान ली और फिर एक्टिंग करने का मन बना लिया. इस तरह वह नौकरी कर लेने के कॉन्सेप्ट से अलग हो गए और एकदम अपारंपरिक फील्ड में चले गए, जो किसी यूनिवर्सिटी के तहत कवर नहीं होता था.

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सौरभ शुक्ला ने अपनी फेवरिट फिल्म के तौर पर रिलीज होने वाली अगली तीन फिल्मों के नाम बताए. 'फ्रॉड सैयां' प्रकाश झा के प्रोडक्शन हाउस के साथ, सुधीर मिश्रा की 'और देवदास' और तीसरी फिल्म नील माधव पांडा के साथ जल संकट पर है. हालांकि, वे 'जॉली एलएलबी' को अपने दिल के काफी करीब पाते हैं. उस किरदार को लेकर उन्हें दो मजेदार कमेंट भी मिले, जिसे वे अपने लिए कॉम्प्लीमेंट मानते हैं. एक ने कहा कि ऐसा लगता है आप 15 साल से कुर्सी पर ही बैठे हो, जबकि दूसरे शख्स ने कहा था कि तू तो बैठे-बैठे ही पैसे ले जाता है. 'मुझे अपने इस कैरेक्टर पर गर्व है.'

सेंसरशिप के बारे में सौरभ ने कहा कि कीचड़ में कमल उगता है, तो अगर आपको कमल दिखाना है, तो कीचड़ भी दिखाना होगा. ऐसा तो है नहीं कि कीचड़ को काट दो और कमल दिखा दो. अगर आप फिल्मों में अपशब्दों को काटते हैं, तो हिंदी साहित्य की कई किताबें बैन करनी पड़ेंगी, जैसे 'काशी का अस्सी'. सेंसर बोर्ड का किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा, 'एक समय था कुत्ते को इस्तेमाल करना मुश्किल था, क्योंकि जानवरों को इस्तेमाल नहीं कर सकते थे. सिगरेट नहीं दिखा सकते थे, लेकिन अब वॉर्निंग देकर इसे शुरू किया गया है. क्या आपको लगता है कि इंसान सिगरेट नहीं पीते? इंसान बिना कुत्ते-बिल्ली के रहते हैं? अगर आप शांति की बात करना चाहेंगे और आपको यही नहीं पता होगा कि हिंसा क्या है, तो शांति का अहसास कैसे होगा.'

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