देश के सभी निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस में प्रवेश के लिए एक कॉमन टेस्ट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) इसी वर्ष से लागू होगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुहर लगा दी है.
सीबीएसई ने कोर्ट में NEET परीक्षा दो फेज में कराने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें पहले फेज की परीक्षा 1 मई और दूसरा 24 जुलाई को होगा. इन दोनों का कम्बाइंड रिजल्ट 17 अगस्त को जारी किए जाने का भी प्रस्ताव दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई और एमसीआई से गुरुवार को परीक्षा का प्रस्तावित शेड्यूल कोर्ट में पेश करने को कहा था.
पहले चरण को 6 लाख 50 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी इसमें हिस्सा लेंगे.
दूसरे चरण में 2 लाख 59 हजार से ज्यादा छात्र बैठेंगे. तमिलनाडु, कर्नाटक,
आंध्र, तेलंगाना और यूपी एमसीआई और सीबीएसई के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं.
प्राइवेज कॉलेज भी एनईईटी के खिलाफ हैं.
इस आदेश के बाद 1 मई को होने वाली AIPMT एग्जाम के भी कैंसिल होने की संभावना है. सीबीएसई और एमसीआई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वे इसी वर्ष से एमबीबीएस और बीडीएस में प्रवेश के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट परीक्षा कराने को तैयार हैं.
एनजीओ संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से दाखिल याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान सीबीएसई और एमसीआई ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी. ट्रस्ट ने ऑल इंडिया कोटे की 15 फीसदी सीटों के लिए एआईपीएमटी परीक्षा होती है. इसके अलावा राज्य और निजी मेडिकल कॉलेज अलग-अलग प्रवेश परीक्षाएं करा कर सीटों के लिए आवेदन करते हैं.
एनजीओ संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट की याचिका में अधिवक्ता अमित कुमार ने कोर्ट से कहा कि केंद्र, एमसीआई और सीबीएसई कोर्ट के फैसले की ठीक से पालना नहीं कर रहे. जिसके चलते छात्रों को देश भर में 90 अलग-अलग मेडिकल परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है. कुमार ने पीठ से कहा, 'मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए छात्र को लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं और ज्यादातर मेडिकल परीक्षाएं ईमानदारी से नहीं कराई जातीं.' कोर्ट याचिकाकर्ता द्वारा दी गई दलीलों से सहमत हुआ और NEET को इसी शिक्षा सत्र से लागू करने के आदेश दिए हैं.