गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के मासूम प्रद्युम्न की हत्या के बाद देश भर के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. दिल्ली और एनसीआर के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों में डर का माहौल है. लोगों के मन में डर है कि कहीं उनके बच्चे के साथ कुछ गलत ना हो जाए. 'आजतक' की टीम ने भी दिल्ली के कई स्कूल की पड़ताल की है, इस पड़ताल से सामने आया कि अभिभावकों का भरोसा स्कूलों से उठने लगा है.
बसों में नहीं सीसीटीवी कैमरे
दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित जिंदल स्कूल में बसों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर की गई पड़ताल में सामने आया कि बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे. जब हमारी टीम ने स्कूल प्रबंधन से सीसीटीवी से संबंधित सवाल पूछा तो उन्होंने झूठ बोलते हुए कहा कि कैमरे लगे हुए हैं जबकि बस की पड़ताल करने पर उनका झूठ पकड़ा गया. यानी स्कूलों के दावे और सच्चाई में बड़ा फर्क नजर आता है.
बिना ID के स्कूल में एंट्री
राजौरी गार्डन में स्थित केम्ब्रिज स्कूल में जब हमारी टीम ने पड़ताल की तो सामने आया कि यहां स्कूल के बाहर सीसीटीवी कैमरे तो लगे हुए हैं लेकिन जब पेरेंट्स से हमने बात की तो उनका कहना था कि हमारे बच्चे स्कूल में सुरक्षित नहीं हैं. पड़ताल में सामने आया कि स्कूल के अंदर बिना आईडी के ड्राइवर और कंडक्टर दाखिल हो जाते हैं. बच्चों की कैंटीन में भी ड्राइवर-कंडक्टर की आवाजाही पर कोई रोक नहीं है.
क्लास के नहीं लगे सीसीटीवी
स्कूल के अभिभावकों ने बताया कि क्लास रूम के बाहर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं. स्कूल की छुट्टी के वक्त दोनों गेट खोल दिए जाते हैं और कोई भी आसानी से बिना की जांच-पड़ताल के स्कूल के भीतर दाखिल हो सकता है. अभिभावकों का कहना है कि यह हमारे बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है.
बच्चों को लाते हैं प्राइवेट वाहन
स्कूलों में जो सबसे बड़ी लापरवाही देखने को मिली वह बच्चों को लाने-लेजाने में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों में थी. बच्चों को रोज़ाना लेकर जाने वाली टैक्सी प्राइवेट नंबर की हैं. नियम के मुताबिक स्कूल से बच्चों को लाने वाली गाड़ियों का कमर्शियल रजिट्रेशन और नंबर होना चाहिए क्योंकी प्राइवेट नंबर की गाड़ियां इसके लिए आधिकारिक नहीं हैं और उन गाड़ियों की कोई जांच नहीं होती. जबकि कमर्शियल गाड़ियों की हर साल जांच होती और फिटनेस टेस्ट होता है. लेकिन इस मामले में पेरेंट्स को भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि वही अपने बच्चों को इन निजी वाहनों में भेजते हैं.
पड़ताल से साफ जाहिर है कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है. अभी एक दर्दनाक हादसा हुआ है तो सभी का ध्यान इन सभी बिंदुओं की ओर गया है लेकिन आए दिन ऐसे हादसे होते रहते हैं. ऐसे हादसो को रोकने के लिए जरूरी है कि स्कूल प्रबंधन इस ओर गंभीरता से ध्यान दे और अभिभावक भी सचेत होकर स्कूल की इन खामियों को दूर कराने की कोशिश करें.