गया में बीते दिनों से 'पितृपक्ष मेले' का मौसम चल रहा है. देश-दुनिया से लाखों की संख्या में लोग गया पहुंच रहे हैं. ऐसे में उस भीड़ को समायोजित करने के लिए प्रशासन ने स्कूल की बिल्डिंग्स को सहारा बनाया है. इसकी वजह से कई स्कूल बीते 15 दिनों से बंद हैं.
गौरतलब है कि बीते 15 दिनों से 27 सरकारी स्कूलों के करीब 20,000 स्टूडेंट क्लासेस से वंचित कर दिए गए हैं. कहा जा रहा है कि इस दौर में लोगों को स्कूलों में ठहराने की परंपरा जिला मजिस्ट्रेट राजबाला वर्मा ने साल 1992 में शुरू की थी.
आखिर स्कूल बिल्डिंग्स ही क्यों?
अब जब पितृपक्ष मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आ जाते हैं तो प्रशासन उन्हें रुकने की जगह देने के लिए बाध्य होता है. प्रशासन के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि वह सबको रुकवा सके. ऐसे में उन्हें स्कूलों में ठहराया जाता है.
गया के नागरिकों ने की शिकायत...
इस व्यवस्था के तहत कई स्कूल बीते 15 दिनों से बंद थे. ऐसे मे कई जागरुक नागरिकों ने जिला प्रशासन से शिकायत की. उनका कहना है कि इन वजहों से स्टूडेंट्स के लगभग 6 माह खराब हुए हैं.
इस पूरे मामले पर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 10वीं क्लास के छात्र उमेश अंबष्ठ कहते हैं कि स्टूडेंट्स को एक्स्ट्रा क्लासेस का आश्वासन देने बावजूद कुछ नहीं हुआ. इसके अलावा उन्होंने स्कूल के टॉयलेट, फर्श और स्कूल के तमाम संसाधनों के दुरुपयोग की भी बात कही है.
इन तमाम शिकायतों का संज्ञान लेते हुए गया जिले के मजिस्ट्रेट कहते हैं कि उन्होंने ऐसी परिस्थिति में अस्थायी ठिकाने बनाए हैं. मजिस्ट्रेट ने नुकसान की भरपाई के लिए एक्स्ट्रा क्लासेस की बात कही है.