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देरी से शुरू हो सकती है इन स्कूलों में नर्सरी एडमिशन की प्रक्रिया

डीडीए की जमीन पर बने दिल्ली के 298 प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी दाखिला अधर में लटक सकता है. शिक्षा निदेशालय ने नेबरहुड क्राइटेरिया के आधार पर दाखिला प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन स्कूल नई गाइडलाइन से खुश नहीं हैं.

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नर्सरी एडमिशन के शेड्यूल पर असर पड़ सकता है
नर्सरी एडमिशन के शेड्यूल पर असर पड़ सकता है

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डीडीए की जमीन पर बने दिल्ली के 298 प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी दाखिला अधर में लटक सकता है. शिक्षा निदेशालय ने नेबरहुड क्राइटेरिया के आधार पर दाखिला प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन स्कूल नई गाइडलाइन से खुश नहीं हैं.

नई गाइडलाइन के मुताबिक, 298 स्कूल अपने नेबरहुड बच्चों को एडमिशन देने से मना नहीं कर सकते. स्कूलों का 20 फीसदी मैनेजमेंट कोटा भी खत्म कर दिया गया है. 100 प्वाइंट सिस्टम को भी हटा दिया गया है. स्कूलों को सबसे पहले 0-1 किमी फिर 1-3 किमी और उसके बाद भी सीटें बचने पर 3-6 किमी के एरिया में रहने वाले बच्चों को प्राथमिकता देने को कहा गया है. सिबलिंग क्राइटेरिया को डिस्टेंस के आधार पर प्राथमिकता देना भी इसमें शामिल है.

प्राइवेट स्कूल सरकार की गाइडलाइन को स्कूलों की ऑटोनॉमी पर हमला मान रहे हैं. स्कूलों की एक्शन कमिटी के प्रेसिडेंट एसके भट्टाचार्य का कहना है- 'स्कूल 25 फीसदी सीटों पर EWS कैटेगरी के छात्रों को दाखिला देता है. बाकी 75 फीसदी ओपन सीटों के लिए दाखिला ट्रांसपैरेंट तरीके से रेग्युलेट करने का अधिकार स्कूल के पास होता है.'

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उनका कहना है कि सरकार की नई गाइडलाइन से अभिभावकों की मुश्किलें ही बढ़ेंगी. एलुमनाई, गर्ल चाइल्ड, फर्स्ट चाइल्ड, सिंगल पेरेंट्स, स्टाफ कोटा जैसे क्राइटेरिया को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

आपको बता दें कि पिछले साल भी मैनेजमेंट कोटा खत्म किए जाने पर प्राइवेट स्कूलों ने कोर्ट का रुख किया था. तब फैसला प्राइवेट स्कूलों के पक्ष में आया था. इसलिए इस बार भी प्राइवेट स्कूल कोर्ट का रुख कर सकते हैं, ऐसे में नर्सरी एडमिशन के शेड्यूल पर असर पड़ सकता है.

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