जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में गुरुवार को Article 370 पर आयोजित सेमिनार के दौरान अखिल भारतीय छात्र संघ (AISA) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्यों के बीच हाथापाई हो गई.
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों संगठनों के सदस्य सेमिनार के दौरान ही आपस में भिड़ गए. इस मामले में जेएनयू आईसा के नेता और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एन साईं बालाजी ने कहा कि आईसा के सदस्य शाम तीन बजे से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे. ऐसी कोई घटना कैंपस में नहीं हुई है. ये सरासर झूठ है.
बता दें कि जेएनयू कैंपस में हो रही इस सेमिनार में प्रशासन ने राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह को आमंत्रित किया गया था. ये लेक्चर jnu कंवेंशन सेंटर में शाम तीन बजे से होना था, करीब 4 से 5 बजे मंत्री के आने से पहले एक घंटे तक कंवेंशन सेंटर के बाहर स्टूडेंट ने जोरदार नारेबाजी और प्रदर्शन किया.
लगे कश्मीर की आजादी के नारे
यहां पर एक तरफ कश्मीर से कन्याकुमारी, भारत माता एक हमारी' के नारे लगे. वहीं दूसरी तरफ कश्मीर को आज़ाद करो की गूंज भी सुनाई दी. एक समूह ने इस लेक्चर को रोकना चाहा तो वहीं, दूसरे ग्रुप ने उन छात्रों को रोका जो प्रोटेस्ट कर रहे थे. ABVP संगठन के छात्रों का कहना है कि इस कार्यक्रम को रोकने वाले छात्र लेफ्ट विंग के थे. वहीं, लेफ्ट विंग के छात्रों का कहना है कि यह लेफ्ट के छात्र वहां मौजूद नहीं थे.
एबीवीपी का बयान:
प्रदेश मीडिया प्रभारी एबीवीपी दिल्ली आशुतोष सिंह ने कहा कि जेएनयू में जिस तरह से वामपंथी विचारधारा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कश्मीर के संबंध में नारे लगाए, वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. भारत के अंदर ऐसे पाकिस्तान परस्त नारे लगाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. जेएनयू में धारा 370 हटाने के संदर्भ में हो रहे सेमिनार को हिंसा का सहारा लेकर बाधित करने और इवेंट में शामिल लोगों के साथ लेफ्ट व बाप्सा से जुड़े छात्रों द्वारा मारपीट करने की घटना निंदनीय है. ये घटना एक बार फिर वामपंथियों की लोकतंत्र के प्रति अनास्था और हिंसक चरित्र को उजागर करती है.
इस मामले में जेएनयू छात्रसंघ ने बयान जारी कर कहा है कि जेएनयू प्रशासन ने कन्वेंशन सेंटर में तीन अक्टूबर शाम तीन बजे एक सार्वजनिक बैठक बुलाई है, जिसमें केंद्रीय पूर्वोत्तर मामलों के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के बाद 'कश्मीर में विकास, शांति और स्थिरता' की व्याख्या करेंगे. इसमें वो दो केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य का एकपक्षीय विभाजन पर अपनी राय रख रहे हैं. विडंबना है कि जिस प्रशासन ने जेएनयू की शांति और स्थिरता को बर्बाद किया है, वो एक पार्टी के एक मंत्री को आमंत्रित कर रहा है जो देश की शांति और स्थिरता को नष्ट कर रहा है.
छात्रसंघ ने कश्मीर के मौजूदा हालातों पर भी कहा कि वहां मुख्यधारा के विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी जारी है. मोबाइल, टेलीफोन और इंटरनेट सेवाएं सस्पेंड हैं. वहां के लोग बाहरी दुनिया के संपर्क में नहीं हैं, कहीं आ-जा भी नहीं पा रहे हैं. वो पूरी तरह से बुनियादी आपूर्ति से वंचित हैं. दूसरी तरफ कॉरपोरेट मीडिया और सरकार की पीआर एजेंसियां झूठ फैलाती रहती हैं कि कश्मीर में सब सामान्य है.