हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में शहनाज हुसैन का बिजनेस मॉडल पढ़ाया जाएगा. उनके वीडियो इंटरव्यू 'क्रीएटिंग इमरजिंग मार्केट' को हार्वर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.
यानी हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र
शहनाज हुसैन के बिजनेस मॉडल के जरिये कारोबार को
सफल बनाने का गुर सिखेंगे.
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शहनाज के सौंदर्य प्रोडक्ट की 138 देशों में 600 से ज्यादा फ्रेंचाइजी मौजूद हैं. लेकिन क्या इस सफलता तक शहनाज रातों-रात पहुंच गईं?
नहीं. शहनाज के लिए इस प्रोफेशन में आना और यहां कदम जमाए रखना इतना आसान नहीं था.
हालांकि शहनाज एक रसुकदार परिवार से ताल्लुक रखती थीं. उनके पिता नसिरुल्लाह बेग इलाहाबाद हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस थे. उनके परिवार में ज्यादातर लोग या तो कानून के पेशे में थे या राजनीतिक दुनिया में.
ऐसे में शहनाज के लिए इन सभी से अलग ब्यूटी
प्रोडक्ट्स के क्षेत्र में करियर बनाना आसान नहीं था.
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शहनाज अभी पढ़ाई कर ही रहीं थीं कि उनकी शादी 14 साल की उम्र में ही तय कर दी गई और 16 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई.
शादी के एक साल के भीतर शहनाज की बेटी भी हो गई. पर शहनाज के आंखों का सपना अभी तक सोया नहीं था. उन्होंने अपनी पढ़ाई दोबारा शुरू कर दी.
ब्यूटी के क्षेत्र में पढ़ने के लिए वो लंदन से पेरिस,
जर्मनी, डेनमार्क से न्यूयॉर्क यात्राएं करती रहीं.
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दस साल बाद उनके पति का ट्रांसफर तेहरान में हो गया और एक बार फिर शहनाज की पढ़ाई में ब्रेक लग गया. अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए शहनाज ने कई पार्ट टाइम जॉब किया और फिर साल 1977 में अपने पिता से 35,000 रुपये उधार लेकर उन्होंने अपने घर में ही एक क्लिनिक खोला और साथ ही आयुर्वेदिक दवाएं बनानी शुरू कर दी, जिसे उन्होंने शहनाज हर्बल्स इंक का नाम दिया.